Thursday, July 12, 2012

Kasmiri Pandit Untold Story


कश्मीरी पंडित की अनकही कहानी

मित्रों, आपको हम एक ऐसी दर्दनाक सच्चाई बताने जा रहे हैं जो देश के 99% लोगों को पता तक नहीं है। आप सभी ने शायद सुना तो होगा कश्मीरी पंडितो के बारे में। हम सभी ने सुना है की  " ...हाँ कुछ तो हुआ था कश्मीरी पंडितो के साथ.." ; लेकिन क्या हुआ था, क्यों हुआ था - यह ठीक से पता नहीं है। हम आपको यह बात विस्तार में बताने जा रहे है की क्या हुआ था कश्मीर में और क्या हुआ था कश्मीरी पंडितो के साथ।

पार्ट 1: कश्मीर का रक्तरंजित इतिहास
कश्मीर का नाम कश्यप ऋषि के नाम पर पड़ा था एवं कश्मीर के मूल निवासी सारे हिन्दू थे। कश्मीरी पंडितो की विरासत कम से कम 5000 साल पुरानी है एवं वे कश्मीर के मूल निवासी हैं। अतः यदि कोई कहे की भारत ने कश्मीर पर 'कब्ज़ा' कर लिया है यह सर्वदा मिथ्या है। 14वीं शताब्दी में तुर्किस्तान से आये एक क्रूर मुस्लिम आतंकी दुलुचा ने 60,000 की सेना के साथ कश्मीर पे आक्रमण किया और कश्मीर में मुस्लिम साम्राज्य की स्थापना की।  दुलुचा ने नगरों एवं गावों को नष्ट कर दिया तथा हजारों हिन्दुओ का अमानवीय नरसंघार किया। बहुत सारे हिन्दुओ को बलपूर्वक यंत्रनाएं देकर मुस्लिम बनाया गया। बहुत सारे हिन्दुओ ने, जो इस्लाम कबूल नहीं करना चाहते थे,  जहर खाकर आत्महत्या कर ली और बाकी भाग गए। आज जो भी कश्मीरी मुस्लिम है उन सभी के पूर्वजो को इन अत्याचारों के कारण बलपूर्वक मुस्लिम बनाया गया था।

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अधिक जानकारी के लिए इस लिंक को देखे - http://en.wikipedia.org/wiki/Kashmir#Etymology

 पार्ट 2: 1947 के समय कश्मीर1947 में ब्रिटिश संसद के "भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम"  के अनुसार ब्रिटेन ने तय किया की मुस्लिम बहुल क्षेत्रों को पाकिस्तान बनाया जायेगा। 150 राजाओ ने पाकिस्तान चुना और बाकि 450 राजाओ  ने भारत। मात्र एक जम्मू और कश्मीर के राजा बच गए थे जो फैसला नहीं कर पा रहे थे। लेकिन जब पाकिस्तान ने फौज भेज कर कश्मीर पर आक्रमण किया तो कश्मीर के राजा ने भी हिंदुस्तान में कश्मीर के विलय के लिए दस्तख़त कर दिए। ब्रिटिशों ने यह कहा था की यदि राजा ने एक बार दस्तख़त कर दिए तो वो बदले नहीं सकते तथा इस विषय पे जनता की आम राय पूछने की आवश्यकता नहीं है। तो जिन कानूनों के आधार पर भारत और पाकिस्तान बने थे उन नियमो के अनुसार ही कश्मीर पूरी तरह से भारत का अंग बन गया था। इसलिए यदि कोई भी कहता है की कश्मीर पर भारत ने अनधिकृत कब्ज़ा कर रखा है वह सर्वथा मिथ्या है ।

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पार्ट 3: सितम्बर 14, 1989
BJP के राष्ट्रीय कार्यकारणी के सदस्य और जाने माने वकील, कश्मीरी पंडित, तिलक लाल तप्लू की JKLF ने हत्या कर दी । तत्पश्चात जस्टिस नील कान्त गंजू को गोली मार दी गयी। इसी प्रकार सारे मुख्य कश्मीरी नेताओं की एक एक कर हत्या कर दी गयी। उसके बाद 300 से अधिक हिन्दू महिलाओ और पुरुषो की नृशंश हत्या की गयी। एक कश्मीरी पंडित नर्स जो श्रीनगर के सौर मेडिकल कोलेज अस्पताल में काम करती थी,  का एक भीड़  ने सामूहिक बलात्कार किया और उसके बाद मार मार कर उसकी हत्या कर दी। यह घिनौना ख़ूनी खेल चलता रहा और अपने सेकुलर राज्य और केंद्र सरकार, मीडिया ने कुछ नहीं किया। कुछ भी नहीं।

पार्ट 4: जनुअरी 4, 1990
आफताब, एक स्थानीय उर्दू अखबार, ने  हिज्ब - उल - मुजाहिदीन की तरफ से  एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की - "सभी हिन्दू अपना सामान बांधें और कश्मीर छोड़ कर चले जायें" । एक अन्य स्थानीय समाचार पत्र, अल सफा, ने इस निष्कासन के आदेश को दोहराया।  तत्पश्चात मस्जिदों में भारत एवं हिन्दू विरोधी भाषण दिए जाने लगे। सभी कश्मीरियों को कहा गया की इस्लामिक ड्रेस कोड अपनाएं। सिनेमा और विडियो-पार्लर आदि  बंद कर दिए गए। लोगों को कहा गया की वो अपनी घड़ी पाकिस्तान के समय के अनुसार करे लें। उस समय कश्मीर की फारूक अब्दुल्ला की सरकार आँखें फेरे चुप बैठी रही ।

अधिक जानकारी के लिए यह लिंक आप देख सकते है:- http://www.rediff.com/news/2005/jan/19kanch.htm

पार्ट 5: जनुअरी 19, 1990
सारे कश्मीरी पंडितो के घर के दरवाजो पर नोट लगा दिया जिसमे लिखा था "या तो मुस्लिम बन जाओ या कश्मीर छोड़ के भाग जाओ या फिर मरने के लिए तैयार हो जाओ"। पाकिस्तान की तत्कालीन प्रधान मंत्री बेनज़ीर भुट्टो ने PTV पर कश्मीरी मुस्लिमों को भारत से आज़ादी के लिए भड़काना शुरू कर दिया। कश्मीर के सारे मस्जिदों में एक टेप चलाया गया जिसमे मुस्लिमो को कहा गया की वो हिन्दुओ को कश्मीर से निकाल बाहर करें या मार डालें । उसके बाद सारे कश्मीरी मुस्लिम सडको पर उतर आये - ये केवल आतंकवादी नहीं थे, ये कश्मीर का आम मुस्लिम थे ।

ये वो मुस्लिम थे जिनका कुछ दिन पहले तक हिन्दुओं के साथ उठाना-बैठना था, मित्रता थी , भाईचारा था । और मारे जाने वाले ये वो हिन्दू थे जो मुसलमान  को अपना भाई समझते थे, विश्वास करते थे , अपनी पढ़ी-लिखी आधुनिक एवं धर्मनिरपेक्ष सोच पे गर्व करते थे।

यह मुसलमान कश्मीर पंडितों के घरों में भीड़ बन के घुसे, घर के पुरुषों को बिठा कर वहीँ उनके सामने उनकी माँ-बेटियों-बहनों की एक-एक कर उनके सामने इज्ज़त लूटी , बलात्कार कर उनके सामने उनके घरवालों की हत्या कर दी, घर को लोगों सहित जला दिया। कई महिलाओं को लोहे के गरम सलाखों से मार दिया गया और उनके नग्न शरीर को पेड़ों से लटका दिया । मासूम बच्चों को स्टील के तार से गला घोटकर या दीवार पर सर पटक कर मारा। अपनी ऐसी अमानवीय दुर्गति से बचने के लिए कई कश्मीरी बहनों ने ऊंचे मकानों की छतों से कूद कर जान दे दी । वे सारे मुस्लिम, कश्मीरी हिन्दुओं की हत्या करते रहे और उस पर नारा लगाते चले गए की उनपर अत्याचार हुआ है और उनको भारत से आजादी चाहिए!!!

पार्ट 6: कश्मीरी पंडितो का पलायन
जब इतने खुले नरसंहार के पश्चात भी राज्य अथवा केंद्र से कोई सहायता नहीं आई तो कश्मीरी पंडितों के पास पलायन के सिवा कोई रास्ता नहीं बचा । 350 ,000 कश्मीरी पंडित अपनी जान बचा कर कश्मीर से भाग गए। कश्मीरी पंडित जो कश्मीर के मूल निवासी है उन्हें कश्मीर छोड़ना पड़ा और तब भी कश्मीरी मुस्लिम कहते है की उन्हें आजादी चाहिए!!!

यह सब कुछ चलता रहा लेकिन धर्मनिरपेक्ष मीडिया चुप रही-उन्होंने देश के लोगो तक यह बात कभी नहीं पहुंचाई, इसलिए देश के लोगों को आज तक पता नहीं चल पाया की क्या हुआ था कश्मीर में। देश-विदेश के लेखक, तथाकथित बुद्धिजीवी चुप रहे, भारत का संसद चुप रहा, देश के सारे हिन्दू, मुस्लिम, सेकुलर चुप रहे। किसी ने भी 350,000 कश्मीरी पंडितो के बारे में कुछ नहीं कहा।

आज भी अपने देश की मीडिया 2002 के दंगो के रिपोर्टिंग में व्यस्त है। वो कहते है की गुजरात में मुस्लिम विरोधी दंगे हुए थे लेकिन यह कभी नहीं बताते की 750 मुस्लिमो के साथ साथ 250 हिन्दू भी मरे थे। यह भी कभी नहीं बताते की दंगो की शुरुआत मुस्लिमो ने की थी जब उन्होंने 59 हिन्दुओ को ट्रेन में गोधरा में जिन्दा जला दिया था। कहते हैं की हिन्दुओं पर अत्याचार की बात की रिपोर्टिंग से अशांति फैलेगी, लेकिन मुस्लिमों पर हुए अत्याचार की रिपोर्टिंग से अशांति नहीं फैलती। इसे कहते है सेकुलर (धर्मनिरपेक्ष) पत्रकारिता।

पार्ट 7: कश्मीरी पंडितो के आज की स्थिति
आज 4.5 लाख कश्मीरी पंडित अपने ही देश में ही शरणार्थी की तरह रह रहे है। पूरे देश-विदेश में कोई भी नहीं है उनको देखने वाला। कोई भी मीडिया नहीं है जो उनके बारे में हुए अत्याचार को बताये। कोई भी सरकार या पार्टी या संस्था नहीं है जो की विस्थापित कश्मीरियों को उनके पूर्वजों की भूमि में वापस ले जाने को तैयार है। कोई भी नहीं इस इस दुनिया में जो कश्मीरी पंडितो के लिए "न्याय" की मांग करे। कश्मीरी पंडित काफी-पढ़े लिखे लोगों के तरह जाने जाते थे आज वो नितांत निर्धनों की तरह पिछले २२ सालो से टेंट में रह रहे है। उन्हें मुलभुत सुविधाए भी नहीं मिल पा रही है, पिने के लिए पानी तक की समस्या है, दूषित नालों के बीच निर्वाह करने को बाध्य हैं । भारतीय और विश्व मीडिया, मानवाधिकार संस्थाए आदि गुजरात दंगो में मरे 750 मुस्लिमो की बात करते है (वो भी मारे गए 310 हिन्दुओ को भूलकर) । लेकिन यहाँ हजारों मारे गए और ४.५ लाख विस्थापित कश्मीरी पंडितो की बात करने वाला कोई नहीं है क्योकि वो हिन्दू है। 20 ,000 कश्मीरी हिन्दू तो बस धुप की गर्मी के कारण मर गए क्योकि वो कश्मीर के ठन्डे मौसम में रहने के आदि थे।

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पार्ट 8: कश्मीरी पंडितो और सेना के खिलाफ मीडिया का सद्यन्त्र
आज देश के लोगो को भारतीय मीडिया कश्मीरी पंडितो के मानवाधिकार-हनन के बारे में नहीं बताती है लेकिन आंतकवादियों के मानवाधिकार के बारे में अपनी आवाज जरूर उठाती है । आज सभी को यह बताया जा रहा है की AFSPA नाम का किसी कानून का भारतीय सेना काफी ज्यादा दुरूपयोग किया है.. कश्मीर में अलगावादी संगठन मासूम लोगो की हत्या करवाते है.और भारतीय सेना के जवान जब उन आतंकियों और उनके सहयोगियों  के विरुद्ध कोई करवाई करते है.. तो यह देशद्रोही अलगावादी नेता अपने बिकी हुए मीडिया की सहायता से चीखना-चिल्लाना शुरू कर देते हैं की " देखो हमारे ऊपर कितना अत्याचार हो रहा है " !!!

मित्रो बात यहाँ तक नहीं रुकी है. अश्विन कुमार जैसे कुछ फिल्म निदेशक "इंशाल्लाह कश्मीर" नामक भारत विरोधी वृत्तचित्र बना रहे हैं जिससे यह पुरे विश्व की लोगो को यह दिखा रहे है की कश्मीर के भोले-भाले मुस्लिम युवाओं पर भारतीय सेना के जवानों ने अत्याचार किया है। अश्विन कुमार अपने वृत्तचित्र को पूरे विश्व के पटल पर रख रहे है । हर तरह से देश-विदेश में लोगों को दिखा रहे है की अन्याय भारतीय सेना ने किया है। जो सच है उसे वो बिलकुल छिपा दे रहे हैं।

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सारे मुस्लिम कहते है मोदी को फांसी दो जबकि मोदी ने गुजरात की दंगो को समय रहते रोक दिया। आज तक एक भी मुस्लिम को यह कहते नहीं सुना गया की कांग्रेस के नेताओं, गाँधी परिवार और अब्दुल्लाह परिवार को फांसी दो। जो लाखो कश्मीरी पंडितो के नरसंहार को देखते रहे ! मित्रो इस घटना को अगर आप पढ़ चुके है तो अपने बाकि मित्रो एवं परिवारजनों को बताएं,शेयर करें, सत्य से अवगत कराएं। जो कश्मीर में हुआ था वाही आज मुस्लिम-बहुल केरला, पश्चिम बंगाल, हैदराबाद, उत्तर प्रदेश में हो रहा है। हिन्दुओं पर आज देश के कई जगहों में अत्याचार हो रहा है। लेकिन सेकुलर मीडिया इसे दबा देती है इसलिए आपको और हमें कुछ पता नहीं चल पता है। हमारा या आपका कोई दोष भी नहीं है-यदि हमें कुछ पता ही नहीं चलेगा तो हम करेंगे क्या? आज जितनी भी प्रिंट और इलेक्ट्रोनिक मीडिया है अधिकाँश को सउदी अरब से पैसा मिलता है। यह सेकुलर मीडिया हिन्दुओ  के विनाश के बाद ही रुकेगी क्योकि कोई भी हिन्दू संस्था, पार्टी कभी मीडिया-प्रसार पर ध्यान ही नहीं देती। आज की सेकुलर मीडिया आधी जिहादियो और आधी कोंग्रेसियों के नियत्रण में है। हिन्दुओ के साथ हो रहे अत्याचार को बताने के लिए एक भी टीवी या प्रिंट मीडिया नहीं है।

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