Showing posts with label Today. Show all posts
Showing posts with label Today. Show all posts

Friday, July 27, 2012

कुछ प्रश्न जो आपके दिमाग मे है



कुछ प्रश्न जो आपके दिमाग मे भी होंगे

1. यदि पाकिस्तान और भारत का बटवारा धर्म के आधार पर हुआ जिसमे पाकिस्तान मुस्लिम राष्ट्र बना तो भारत हिन्दू राष्ट्र क्यूँ घोषित नहीं किया ? जबकि दुनिया मे एक भी हिन्दू राष्ट्र नहीं है !

2. तथाकथित राष्ट्र का पिता मोहनदास गांधी ने ऐसा क्यूँ कहा पाकिस्तान से हिन्दू सिखो की लाशे आए तो आए लेकिन यहाँ एक भी मुस्लिम का खून नहीं बहना चाहिए ?

3. मोहनदास करमचंद गांधी चाहते तो भगत सिंह जी को बचा सकते थे क्यूँ नहीं बचाया ?

4. भारत मे मुस्लिम के लिए अलग अलग धाराए क्यूँ है ?

5. ऐसा क्यूँ है की भारत से अलग होकर जीतने भी देश बने है सब इस्लामिक देश ही बने । क्यूँ ?

6. केरल मे कोई रिक्शा वाला वाहन चालक हिन्दू श्री कृष्ण जय हनुमान क्यूँ नहीं लिख सकता ?

7. भारत मे मुस्लिम 18% के आस पास है फिर भी अल्पसंख्यक कैसे है ? जबकि नियम कहता है की 10% के अंदर की संख्या ही अल्पसंख्यक है

8. कश्मीर से हिन्दुओ को क्यूँ खदेड़ दिया जबकि कश्मीर हिन्दुओ का राज्य था ?

9. ऐसा क्यूँ है की मुस्लिम जहा 30-40% हो जाते है तब अपने लिए अलग इस्लामिक राष्ट्र बनाने की मांग उठाते है विरोध करते है अन्य समुदाय के गले रेतते है क्यूँ ?

10. हिन्दुत्व को सांप्रदायिक क्यूँ ठहराया जाता है जबकि इस्लामिक आतंकवाद को धर्म से नहीं जोड़ने की अपील की जाती है ?

11. फरवरी मे बाबा रामदेव ने सर्वप्रथम भ्रष्टाचार के खिलद विशाल रेली आयोजित की थी, उस महारेली मे 1 लाख 18 हजार लोग आए थे तब मीडिया के किसी भी चेनल ने एक खबर तक नहीं दिखाई थी और जैसे ही अण्णा जंतर मंत्र पर मात्र 5000 समर्थको के साथ अनशन पर बैठे तो सारे मीडिया वाले अण्णा चालीसा गाने लगे ???? इसके पीछे क्या कारण है

12. अगर अण्णा हज़ारे को अनशन करना ही था तो रामदेव से मंच से पब्लिसिटी हासिल करके अलग मंच बनाने की क्या आवश्यकता थी ?

13. बॉलीवुड अण्णा हज़ारे का समर्थन करता है लेकिन रामदेवजी का विरोध क्यूँ करता है ?

14. हमारा देश ही दुनिया मे एक मात्र देश है जो मुस्लिम को हज सब्सिडी देता है 60 वर्षो मे सरकार ने इसके लिए 10000 करोड़ रुपये खर्च कर डाले क्यूँ ?

15. सोनिया गांधी ने आओनी जन्म दिनांक 1944 बताई है लेकिन सुचनाए कहती है की उसके पिताजी सिग्नोर स्टेफनो माइनो 1972 से 1945 के बीच रूस मे केदी थे कसिए बेवकूफ बना रही है ? सोनिया

16. भारत मे मुस्लिमो के मदरसो के अनुदान हिन्दू मंदिरो से क्यूँ ?

17. कश्मीर मे गीता उपदेश देने पर संवेधानिक अडचने क्यूँ है ?

18. जमा मस्जिद के इमाम सैयद बुखारी ने एक बार कहा था की वह ओसामा बिन लादेन का समर्थन करता है और आईएसआई का अजेंट है फिर भी भारत सरकार उसे गिरफ्तार क्यूँ नहीं करती ?

19. सरकार ने अण्णा हज़ारे के आंदोलन को सख्ती से नहीं कुचला जबकि रामदेव के समर्थको और स्वामी रामदेव की जान के पीछे पड़ी थी क्यूँ ?

20. मोहनदास गांधी ने अपने ब्रह्म चर्या के प्रयोग को बुढ़ापे मे करके क्या सीखा ? युवाओ को क्या सिखाया ?

21. पाकिस्तान मे 1947 मे 22.45% हिन्दू थे आज मात्र 1.12% शेष है सब कहा गए ?

22. मुगलो द्वारा ध्वस्त किया गया मंदिर सोमनाथ के जीर्णोद्धार की बात आई तो गांधी ने ऐसा क्यूँ कहा की यह सरकारी पैसे का दुरपयोग है जबकि जामा मस्जिद के पुनर्निर्माण के लिए सरकार पर दबाव डाला, अनशन पर बैठे

23. भारत मे 1947 मे 7.88% मुस्लिम थे आज 18.80% है इतनी आबादी कैसे बढ़ी ?

24. भारत मे मीडिया हिन्दुओ के, संघ के खिलाफ क्यूँ बोलती है ?

25. अकबर के हरम मे 4878 हिन्दू औरते थी, जोधा अकबर फिल्म मे और स्कूली इतिहास मे इसे क्यूँ नहीं छापा गया

26. ऐसा क्यूँ होता है की जो भी सोनिया गांधी का धर्म जानने की कोशिश करता है कोर्ट उसी पर जुर्माना लगा देता है ?

27. बाबर ने लाखो हिन्दुओ की हत्या की फिर भी हम उसकी मस्जिद क्यूँ देखना चाहते है ?

28. भारत मे 80% हिन्दू है फिर भी श्री राम मंदिर क्यूँ नहीं बन सकता ?

29. कॉंग्रेस के शासन मे 645 दंगे हुए है जिसमे 32,427 लोग मारे गए है मीडिया को वो दिखाई नहीं देता है जबकि गुजरात मे प्रतिकृया मे हुए दंगो मे 2000 लोग मारे गए उस पर मीडिया हो इतना हल्ला करती है क्यूँ ?

30. 67 कारसेवको को गोधरा मे जिंदा जलाया मीडिया उनकी बाते क्यूँ नहीं करती ?

31. जवाहर लाल नेहरू के दादा एक मुस्लिम (गया सुद्दीन गाजी) थे, हमें इतिहास मे गलत क्यूँ बताया गया ?

32. भारत मे गुरु परंपरा रही है, हर महापुरुष के गुरु थे गांधी जी ने आज तक अपना गुरु क्यूँ नहीं बनाया ?

33. भारत एक ऐसा देश है जहा से सभ्यता शुरू हुई तो गांधी इस देश का पिता कैसे ?

34. दुनियामे एक भी हिन्दू देश नहीं है फिर भी आप सोचते है हिन्दू सांप्रदायिक है ?

35. गांधी ने खिलाफत आंदोलन को सहयोग क्यूँ दिया इससे क्या फायदे हुए ?

36. शुद्धि कारण आंदोलन कर रहे स्वामी श्रद्धानन्द की हत्या करने वाले रशीद नाम के युवक को गांधी ने भाई कहकर संबोधित क्यूँ किया ? गांधी ने कहा था की रशीद भाई जैसा है और स्वामी श्रद्धानन्द हिन्दू एकता का कार्यक्रम चलकर के "हिन्दू - मुस्लिम एकता" को विखंडित कर रहे थे

37. जब तालिबान ने बुद्ध की मूर्तिया गिराई थी तो सेकुलर कीट मीडिया के "टाइम्स ऑफ इंडिया" ने अपने कॉलम मे लिखा था की यह बाबरी मस्जिद गिराने पर प्रतिशोध है क्या आप सहमत है इस वक्तव्य से ? जैसे को तैसा ? तो आप गुजरात के दंगो का विरोध क्यूँ करते हो वहाँ भी तो गोधरा कांड के विरोध मे बदले की आग मे दंगे हुए थे ?

38. ईसाई मिशनरी मुस्लिम इलाको मे धर्मांतरण क्यूँ नहीं करते ?

39. भारतीय मीडिया हिन्दुत्व विरोधी क्यूँ है ? संघ सबसे बड़ा एनजीओ है बिना किसी सरकारी मदद के फिर मीडिया को इससे क्या परेशानी है ? संघ देश के गरीब पिछड़े इलाको मे अपने स्वयं सेवी संस्थानो की मदद से मुफ्त मे विद्यालय चलता है जहां सरकारी योजनाए नहीं चलती क्या संघ देश विरोधी है ? या मीडिया ?

40. आप मीडिया के बारे मे क्या सोचते हो ? रामदेव भगवा धारी है इसलिए ? उसका समर्थन नहीं करती ? या अण्णा हज़ारे कॉंग्रेस प्रायोजित अजेंट ताकि राष्ट्रवादियो को बाँट कर वोट काट सके ? और कॉंग्रेस जीते ?

41. केरल मे आप जीसस अल्ला के नाम से शपथ ले सकते है लेकिन राम का नाम ले नहीं सकते ।

42. सेकुलर कीट TIMES OF INDIA ने अपने लेख मे लिखा था "किस तरह बंगलादेशी घुसपेथियों का भारतीयकरण किया जाये" आप ऐसे लेख से इन मीडिया की मंशा समझ सकते है की ये लोग भारत को एक धर्म शाला मानते है

43. हमारे राष्ट्र पति भवन मे एक मस्जिद है लेकिन मंदिर नहीं है क्या आप अभी भी सोचते है भारत एक सेकुलर देश है ?

44. लोग कहते है की ताजमहल के बारे मे ये सब कोरी अफवाहे है की यह एक हिन्दू मंदिर है" अगर ये अफवाहे है तो कार्बन 14 पद्धति से इसकी जांच करवा लो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा, और नीचे के आनन फानन मे बंद किए गए कमरे भी खोले जाए देश भी जाने की उसमे क्या है ? जैसे पद्मनाभ मंदिर के तहखाने खोले गए ? सच तो यह है की आगरा के पुरातत्व विभाग के पास भी ऐसी कोई जानकारी नहीं है की इस महल का निर्माण शाहजहा ने करवाया था

45. भारत मे मस्जिदों के इमाम और मौलवियों को दस दस हजार से अधिक तंख्वाह मिलती है पुजारीय को क्यूँ नहीं ? क्या यही सेकुलर वाद है ?

46. 2002 मे कर्नाटक सरकार को मंदिरो से 72 करोड़ की आवक हुई जिसमे से 50 करोड़ मदरसो पर खर्च हुए, 10 करोड़ चर्च पर और सिर्फ 8.5 करोड़ मंदिरो पर ..... ? हिन्दू अपने पैसे से मस्जिद क्यूँ बनवाए ? क्यूँ चर्च चलाये ? क्या मदरसो से डॉक्टर, इंजीनियर निकलते है ?

47. यहाँ पॉप के आगमन पर राष्ट्र अवकाश रखा जाता है और शंकरचार्य को आधी रात दिवाली के दिन केद किया जाता है ...

48. पॉप को भारत मे बिना आने दिया जाता है और नेपाल के राजा को मक्कार सक्रांति पर नहीं आने दिया जाता (1965)

49. एक अँग्रेजी अखबार ने सोनिया का एक लेख छापा हिन्दुत्व पर .... ? क्या उस अखबार को सोनिया से बेहतर लेखक नहीं मिला ?

50. उत्तर पूर्वी राज्यो मे न्यूजीलेंड, ऑस्ट्रेलिया और निदर लेंड की सहायता से चर्च का निर्माण हो रहा है .... क्या आपको लगता है चर्च राष्ट्र वाद को बढ़ावा देते है ?

बाकी के प्रश्न आप जोड़िए इतने जोड़िए की लोगो का दिमाग हिल जाये...
Read More »

Thursday, July 12, 2012

Kasmiri Pandit Untold Story


कश्मीरी पंडित की अनकही कहानी

मित्रों, आपको हम एक ऐसी दर्दनाक सच्चाई बताने जा रहे हैं जो देश के 99% लोगों को पता तक नहीं है। आप सभी ने शायद सुना तो होगा कश्मीरी पंडितो के बारे में। हम सभी ने सुना है की  " ...हाँ कुछ तो हुआ था कश्मीरी पंडितो के साथ.." ; लेकिन क्या हुआ था, क्यों हुआ था - यह ठीक से पता नहीं है। हम आपको यह बात विस्तार में बताने जा रहे है की क्या हुआ था कश्मीर में और क्या हुआ था कश्मीरी पंडितो के साथ।

पार्ट 1: कश्मीर का रक्तरंजित इतिहास
कश्मीर का नाम कश्यप ऋषि के नाम पर पड़ा था एवं कश्मीर के मूल निवासी सारे हिन्दू थे। कश्मीरी पंडितो की विरासत कम से कम 5000 साल पुरानी है एवं वे कश्मीर के मूल निवासी हैं। अतः यदि कोई कहे की भारत ने कश्मीर पर 'कब्ज़ा' कर लिया है यह सर्वदा मिथ्या है। 14वीं शताब्दी में तुर्किस्तान से आये एक क्रूर मुस्लिम आतंकी दुलुचा ने 60,000 की सेना के साथ कश्मीर पे आक्रमण किया और कश्मीर में मुस्लिम साम्राज्य की स्थापना की।  दुलुचा ने नगरों एवं गावों को नष्ट कर दिया तथा हजारों हिन्दुओ का अमानवीय नरसंघार किया। बहुत सारे हिन्दुओ को बलपूर्वक यंत्रनाएं देकर मुस्लिम बनाया गया। बहुत सारे हिन्दुओ ने, जो इस्लाम कबूल नहीं करना चाहते थे,  जहर खाकर आत्महत्या कर ली और बाकी भाग गए। आज जो भी कश्मीरी मुस्लिम है उन सभी के पूर्वजो को इन अत्याचारों के कारण बलपूर्वक मुस्लिम बनाया गया था।

अधिक जानकारी के लिए यह विडियो आप देख सकते है




अधिक जानकारी के लिए इस लिंक को देखे - http://en.wikipedia.org/wiki/Kashmir#Etymology

 पार्ट 2: 1947 के समय कश्मीर1947 में ब्रिटिश संसद के "भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम"  के अनुसार ब्रिटेन ने तय किया की मुस्लिम बहुल क्षेत्रों को पाकिस्तान बनाया जायेगा। 150 राजाओ ने पाकिस्तान चुना और बाकि 450 राजाओ  ने भारत। मात्र एक जम्मू और कश्मीर के राजा बच गए थे जो फैसला नहीं कर पा रहे थे। लेकिन जब पाकिस्तान ने फौज भेज कर कश्मीर पर आक्रमण किया तो कश्मीर के राजा ने भी हिंदुस्तान में कश्मीर के विलय के लिए दस्तख़त कर दिए। ब्रिटिशों ने यह कहा था की यदि राजा ने एक बार दस्तख़त कर दिए तो वो बदले नहीं सकते तथा इस विषय पे जनता की आम राय पूछने की आवश्यकता नहीं है। तो जिन कानूनों के आधार पर भारत और पाकिस्तान बने थे उन नियमो के अनुसार ही कश्मीर पूरी तरह से भारत का अंग बन गया था। इसलिए यदि कोई भी कहता है की कश्मीर पर भारत ने अनधिकृत कब्ज़ा कर रखा है वह सर्वथा मिथ्या है ।

अधिक जानकारी के लिए यह विडियो आप देख सकते है


पार्ट 3: सितम्बर 14, 1989
BJP के राष्ट्रीय कार्यकारणी के सदस्य और जाने माने वकील, कश्मीरी पंडित, तिलक लाल तप्लू की JKLF ने हत्या कर दी । तत्पश्चात जस्टिस नील कान्त गंजू को गोली मार दी गयी। इसी प्रकार सारे मुख्य कश्मीरी नेताओं की एक एक कर हत्या कर दी गयी। उसके बाद 300 से अधिक हिन्दू महिलाओ और पुरुषो की नृशंश हत्या की गयी। एक कश्मीरी पंडित नर्स जो श्रीनगर के सौर मेडिकल कोलेज अस्पताल में काम करती थी,  का एक भीड़  ने सामूहिक बलात्कार किया और उसके बाद मार मार कर उसकी हत्या कर दी। यह घिनौना ख़ूनी खेल चलता रहा और अपने सेकुलर राज्य और केंद्र सरकार, मीडिया ने कुछ नहीं किया। कुछ भी नहीं।

पार्ट 4: जनुअरी 4, 1990
आफताब, एक स्थानीय उर्दू अखबार, ने  हिज्ब - उल - मुजाहिदीन की तरफ से  एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की - "सभी हिन्दू अपना सामान बांधें और कश्मीर छोड़ कर चले जायें" । एक अन्य स्थानीय समाचार पत्र, अल सफा, ने इस निष्कासन के आदेश को दोहराया।  तत्पश्चात मस्जिदों में भारत एवं हिन्दू विरोधी भाषण दिए जाने लगे। सभी कश्मीरियों को कहा गया की इस्लामिक ड्रेस कोड अपनाएं। सिनेमा और विडियो-पार्लर आदि  बंद कर दिए गए। लोगों को कहा गया की वो अपनी घड़ी पाकिस्तान के समय के अनुसार करे लें। उस समय कश्मीर की फारूक अब्दुल्ला की सरकार आँखें फेरे चुप बैठी रही ।

अधिक जानकारी के लिए यह लिंक आप देख सकते है:- http://www.rediff.com/news/2005/jan/19kanch.htm

पार्ट 5: जनुअरी 19, 1990
सारे कश्मीरी पंडितो के घर के दरवाजो पर नोट लगा दिया जिसमे लिखा था "या तो मुस्लिम बन जाओ या कश्मीर छोड़ के भाग जाओ या फिर मरने के लिए तैयार हो जाओ"। पाकिस्तान की तत्कालीन प्रधान मंत्री बेनज़ीर भुट्टो ने PTV पर कश्मीरी मुस्लिमों को भारत से आज़ादी के लिए भड़काना शुरू कर दिया। कश्मीर के सारे मस्जिदों में एक टेप चलाया गया जिसमे मुस्लिमो को कहा गया की वो हिन्दुओ को कश्मीर से निकाल बाहर करें या मार डालें । उसके बाद सारे कश्मीरी मुस्लिम सडको पर उतर आये - ये केवल आतंकवादी नहीं थे, ये कश्मीर का आम मुस्लिम थे ।

ये वो मुस्लिम थे जिनका कुछ दिन पहले तक हिन्दुओं के साथ उठाना-बैठना था, मित्रता थी , भाईचारा था । और मारे जाने वाले ये वो हिन्दू थे जो मुसलमान  को अपना भाई समझते थे, विश्वास करते थे , अपनी पढ़ी-लिखी आधुनिक एवं धर्मनिरपेक्ष सोच पे गर्व करते थे।

यह मुसलमान कश्मीर पंडितों के घरों में भीड़ बन के घुसे, घर के पुरुषों को बिठा कर वहीँ उनके सामने उनकी माँ-बेटियों-बहनों की एक-एक कर उनके सामने इज्ज़त लूटी , बलात्कार कर उनके सामने उनके घरवालों की हत्या कर दी, घर को लोगों सहित जला दिया। कई महिलाओं को लोहे के गरम सलाखों से मार दिया गया और उनके नग्न शरीर को पेड़ों से लटका दिया । मासूम बच्चों को स्टील के तार से गला घोटकर या दीवार पर सर पटक कर मारा। अपनी ऐसी अमानवीय दुर्गति से बचने के लिए कई कश्मीरी बहनों ने ऊंचे मकानों की छतों से कूद कर जान दे दी । वे सारे मुस्लिम, कश्मीरी हिन्दुओं की हत्या करते रहे और उस पर नारा लगाते चले गए की उनपर अत्याचार हुआ है और उनको भारत से आजादी चाहिए!!!

पार्ट 6: कश्मीरी पंडितो का पलायन
जब इतने खुले नरसंहार के पश्चात भी राज्य अथवा केंद्र से कोई सहायता नहीं आई तो कश्मीरी पंडितों के पास पलायन के सिवा कोई रास्ता नहीं बचा । 350 ,000 कश्मीरी पंडित अपनी जान बचा कर कश्मीर से भाग गए। कश्मीरी पंडित जो कश्मीर के मूल निवासी है उन्हें कश्मीर छोड़ना पड़ा और तब भी कश्मीरी मुस्लिम कहते है की उन्हें आजादी चाहिए!!!

यह सब कुछ चलता रहा लेकिन धर्मनिरपेक्ष मीडिया चुप रही-उन्होंने देश के लोगो तक यह बात कभी नहीं पहुंचाई, इसलिए देश के लोगों को आज तक पता नहीं चल पाया की क्या हुआ था कश्मीर में। देश-विदेश के लेखक, तथाकथित बुद्धिजीवी चुप रहे, भारत का संसद चुप रहा, देश के सारे हिन्दू, मुस्लिम, सेकुलर चुप रहे। किसी ने भी 350,000 कश्मीरी पंडितो के बारे में कुछ नहीं कहा।

आज भी अपने देश की मीडिया 2002 के दंगो के रिपोर्टिंग में व्यस्त है। वो कहते है की गुजरात में मुस्लिम विरोधी दंगे हुए थे लेकिन यह कभी नहीं बताते की 750 मुस्लिमो के साथ साथ 250 हिन्दू भी मरे थे। यह भी कभी नहीं बताते की दंगो की शुरुआत मुस्लिमो ने की थी जब उन्होंने 59 हिन्दुओ को ट्रेन में गोधरा में जिन्दा जला दिया था। कहते हैं की हिन्दुओं पर अत्याचार की बात की रिपोर्टिंग से अशांति फैलेगी, लेकिन मुस्लिमों पर हुए अत्याचार की रिपोर्टिंग से अशांति नहीं फैलती। इसे कहते है सेकुलर (धर्मनिरपेक्ष) पत्रकारिता।

पार्ट 7: कश्मीरी पंडितो के आज की स्थिति
आज 4.5 लाख कश्मीरी पंडित अपने ही देश में ही शरणार्थी की तरह रह रहे है। पूरे देश-विदेश में कोई भी नहीं है उनको देखने वाला। कोई भी मीडिया नहीं है जो उनके बारे में हुए अत्याचार को बताये। कोई भी सरकार या पार्टी या संस्था नहीं है जो की विस्थापित कश्मीरियों को उनके पूर्वजों की भूमि में वापस ले जाने को तैयार है। कोई भी नहीं इस इस दुनिया में जो कश्मीरी पंडितो के लिए "न्याय" की मांग करे। कश्मीरी पंडित काफी-पढ़े लिखे लोगों के तरह जाने जाते थे आज वो नितांत निर्धनों की तरह पिछले २२ सालो से टेंट में रह रहे है। उन्हें मुलभुत सुविधाए भी नहीं मिल पा रही है, पिने के लिए पानी तक की समस्या है, दूषित नालों के बीच निर्वाह करने को बाध्य हैं । भारतीय और विश्व मीडिया, मानवाधिकार संस्थाए आदि गुजरात दंगो में मरे 750 मुस्लिमो की बात करते है (वो भी मारे गए 310 हिन्दुओ को भूलकर) । लेकिन यहाँ हजारों मारे गए और ४.५ लाख विस्थापित कश्मीरी पंडितो की बात करने वाला कोई नहीं है क्योकि वो हिन्दू है। 20 ,000 कश्मीरी हिन्दू तो बस धुप की गर्मी के कारण मर गए क्योकि वो कश्मीर के ठन्डे मौसम में रहने के आदि थे।

अधिक जानकारी के लिए यह विडियो आप देख सकते है


पार्ट 8: कश्मीरी पंडितो और सेना के खिलाफ मीडिया का सद्यन्त्र
आज देश के लोगो को भारतीय मीडिया कश्मीरी पंडितो के मानवाधिकार-हनन के बारे में नहीं बताती है लेकिन आंतकवादियों के मानवाधिकार के बारे में अपनी आवाज जरूर उठाती है । आज सभी को यह बताया जा रहा है की AFSPA नाम का किसी कानून का भारतीय सेना काफी ज्यादा दुरूपयोग किया है.. कश्मीर में अलगावादी संगठन मासूम लोगो की हत्या करवाते है.और भारतीय सेना के जवान जब उन आतंकियों और उनके सहयोगियों  के विरुद्ध कोई करवाई करते है.. तो यह देशद्रोही अलगावादी नेता अपने बिकी हुए मीडिया की सहायता से चीखना-चिल्लाना शुरू कर देते हैं की " देखो हमारे ऊपर कितना अत्याचार हो रहा है " !!!

मित्रो बात यहाँ तक नहीं रुकी है. अश्विन कुमार जैसे कुछ फिल्म निदेशक "इंशाल्लाह कश्मीर" नामक भारत विरोधी वृत्तचित्र बना रहे हैं जिससे यह पुरे विश्व की लोगो को यह दिखा रहे है की कश्मीर के भोले-भाले मुस्लिम युवाओं पर भारतीय सेना के जवानों ने अत्याचार किया है। अश्विन कुमार अपने वृत्तचित्र को पूरे विश्व के पटल पर रख रहे है । हर तरह से देश-विदेश में लोगों को दिखा रहे है की अन्याय भारतीय सेना ने किया है। जो सच है उसे वो बिलकुल छिपा दे रहे हैं।

अधिक जानकारी के लिए यह विडियो आप देख सकते है


सारे मुस्लिम कहते है मोदी को फांसी दो जबकि मोदी ने गुजरात की दंगो को समय रहते रोक दिया। आज तक एक भी मुस्लिम को यह कहते नहीं सुना गया की कांग्रेस के नेताओं, गाँधी परिवार और अब्दुल्लाह परिवार को फांसी दो। जो लाखो कश्मीरी पंडितो के नरसंहार को देखते रहे ! मित्रो इस घटना को अगर आप पढ़ चुके है तो अपने बाकि मित्रो एवं परिवारजनों को बताएं,शेयर करें, सत्य से अवगत कराएं। जो कश्मीर में हुआ था वाही आज मुस्लिम-बहुल केरला, पश्चिम बंगाल, हैदराबाद, उत्तर प्रदेश में हो रहा है। हिन्दुओं पर आज देश के कई जगहों में अत्याचार हो रहा है। लेकिन सेकुलर मीडिया इसे दबा देती है इसलिए आपको और हमें कुछ पता नहीं चल पता है। हमारा या आपका कोई दोष भी नहीं है-यदि हमें कुछ पता ही नहीं चलेगा तो हम करेंगे क्या? आज जितनी भी प्रिंट और इलेक्ट्रोनिक मीडिया है अधिकाँश को सउदी अरब से पैसा मिलता है। यह सेकुलर मीडिया हिन्दुओ  के विनाश के बाद ही रुकेगी क्योकि कोई भी हिन्दू संस्था, पार्टी कभी मीडिया-प्रसार पर ध्यान ही नहीं देती। आज की सेकुलर मीडिया आधी जिहादियो और आधी कोंग्रेसियों के नियत्रण में है। हिन्दुओ के साथ हो रहे अत्याचार को बताने के लिए एक भी टीवी या प्रिंट मीडिया नहीं है।
Read More »

Tuesday, June 12, 2012

अगर आप भारतीय हैं तो ये लेख अवश्य पढ़ें


 
 
अगर आप भारतीय हैं तो ये लेख अवश्य पढ़ें और शेयर करें

शुरुआत की दस लाइनों से ही ये लेख आपको इसे पूरा पढने पर बाध्य कर देगा

पूरे विश्व को सभ्यता हमने सिखाई और आज हम उनसे सभ्यता सिख रहे हैं
 
 ध्यान-साधना, योग, आयुर्वेद, ये सारी अनमोल चीजें हमारी विरासत थी लेकिन अंग्रेजों ने हम लोगों के मन में बैठा दिया कि ये सब फालतू कि चीज़े हैं और हम लोगों ने मान भी लिया पर आज जब उनको जरुरत पड़ रही हैं इन सब चीजों कि तो फिर से हम लोगों कि शरण में दौड़े-भागे आ रहे हैं और अब हमारा योग 'योगा' बनकर हमारे पास आया तब जाकर हमें एहसास हो रहा हैं कि जिसे हम कंचे समझकर खेल रहे थे, वो हीरा था। उस आयुर्वेद के ज्ञान को विदेशी वाले अपने नाम से पेटेंट करा रहे हैं जिसके बाद उसका व्यापारिक उपयोग हम नहीं कर पायेंगे। इस आयुर्वेद का ज्ञान इस तरह रच बस गया हैं हम लोगों के खून में कि चाहकर भी हम इसे भुला नहीं सकते ...आज भले ही बहुत कम ज्ञान हैं हमें आयुर्वेद का पर पहले घर कि हरेक औरतों को इसका पर्याप्त ज्ञान था तभी तो आज दादी माँ के नुस्खे या नानी माँ के नुख्से पुस्तक बनकर छप रहे हैं। उस आयुर्वेद की छाया प्रति तैयार करके अरबी वाले 'यूनानी चिकित्सा' का नाम देकर प्रचलित कर रहे हैं।

जिस समय पश्चिम में आदिमानवों ने कपडे पहनना सीखा था...उस समय हमारे यहाँ लोग पुष्पक विमान में उड़ा करते थे। आज अगर विदेशी वाले हमारे ज्ञान को अपने नाम से पेटेंट करा रहे हैं तो हमारी नपुंसकता के कारण ही ना ??
 
वो तो योग के ज्ञाता नहीं रहे होंगे विदेश में और जब तक होते तब तक स्वामी रामदेव जी आते नहीं तो ये किसी विदेशी के नाम से पेटेंट हो चुका होता....हमारी एक और महान विरासत हैं संगीत की जो माँ सरस्वती की देन हैं किसी साधारण मानवों की नहीं। फिर इसे हम तुच्छ समझकर इसका अपमान कर रहे हैं। याद हैं आज से साल भर पहले हमारे संगीत-निर्देशक ए.आर. रहमान (पहले नाम दिलीप कुमार) को संगीत के लिए आस्कर पुरूस्कार दिया गया था. और गर्व से सीना चौड़ा हम भारतियों का जबकि मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरे अपनों ने मुझे जख्म दिया और अंग्रेज उसमे नमक छिड़क रहे हैं और मेरे अपने उसे देखकर खुश हो रहे हैं।
 
 किस तरह भीगा कर जूता मारा था अंग्रेजों ने हम भारतियों के सर पर और हम गुलाम भारतीय उसमे भी खुश हो रहे थे कि मालिक ने हमें पुरस्कार तो दिया..... भले ही वो जूतों का हार ही क्यों ना हों ?? अरे शर्म से डूब जाना चाहिए हम भारतियों को अगर रत्ती भर भी शर्म बची है तो ??
 
बेशक रहमान की जगह कोई सच्चा देशभक्त होता तो ऐसे आस्कर को लात मार कर चला आता ........क्योंकि वो पुरस्कार अच्छे संगीत के लिए नहीं दिए गए थे बल्कि उसने पश्चिमी संगीत को मिलाया था भारतीय संगीत में इसलिए मिला वो पुरस्कार....यानी कि भारतीय संगीत कितना भी मधुर क्यों न हों आस्कर लेना हैं तो पश्चिमी संगीत को अपनाना होगा........सीधा सा मतलब यह हैं कि हमें कौन सा संगीत पसंद करना हैं और कौन सा नहीं ये हमें अब वो बताएँगे .........इससे बड़ा और गुलामी का सबूत और क्या हो सकता हैं कि हम अपनी इच्छा से कुछ पसंद भी नहीं कर सकते......कुछ पसंद करने के लिए भी विदेशियों कि मुहर लगवानी पड़ेगी उस पर हमें.... जिसे क,ख,ग भी नहीं पता अब वो हमें संगीत सिखायेंगे जहाँ संगीत का मतलब सिर्फ गला फाड़कर चिल्ला देना भर होता हैं वो सिखायेंगे ??

ज्यादा पुरानी बात भी नहीं हैं ये ......हरिदास जी और उसके शिष्य तानसेन (जो अकबर के दरबारी संगीतज्ञ थे) के समय कि बात हैं जब राज्य के किसी भाग में सुखा और आकाल कि स्थिति पैदा हो जाती थी तो तानसेन को वहां भेजा जाता था वर्षा करने के लिए......तानसेन में इतनी क्षमता थी कि मल्हार गाके वर्षा करा दे, दीपक राग गाके दीपक जला दे और शीतराग से शीतलता पैदा कर दे तो प्राचीन काल में अगर संगीत से पत्थर मोम बन जाता था, जंगल के जानवर खींचे चले आते थे कोई आश्चर्य की बात नहीं होनी चाहिए क्योंकि ये बात कोई भी अनुभव कर सकता हैं की किस तरह दिनों-दिन संगीत-कला विलुप्त होती जा रही हैं .....और संगीत कला का गुण तो हम भारतियों के खून में हैं .......किशोर कुमार, उषा मंगेशकर, कुमार सानू जैसे अनगिनत उदाहरण हैं जो बिना किसी से संगीत की शिक्षा लिए बॉलीवुड में आये थे।
 
एक और उदहारण हैं जब तानसेन की बेटी ने रात भर में ही "शीत राग" सीख लिया था.......चूँकि दीपक राग गाते समय शरीर में इतनी ऊष्मा पैदा हो जाती हैं कि अगर अन्य कोई “शीत राग” ना गाये तो दीपक राग गाने वाले व्यक्ति की मृत्यु हो जायेगी और तानसेन के प्राण लेने के उद्द्येश्य से ही एक चाल चलकर उसे दीपक राग गाने के लिए बाध्य किया था उससे इर्ष्या करने वाले दरबारियों ने और तानसेन भी अपनी मृत्यु निश्चित मान बैठे थे क्योंकि उनके अलावा कोई और इसका ज्ञाता (जानकार) भी नहीं था और रातभर में सीखना संभव भी ना था किसी के लिए पर वो भूल गए थे कि उनकी बेटी में भी उन्ही का खून था और जब पिता के प्राण पर बन आये तो बेटी असंभव को भी संभव करने कि क्षमता रखती हैं ...... तानसेन के ऐसे सैकड़ों कहानियां हैं पर ये छोटी सी कहानी मैंने आप लोगों को अपने भारत के महान संगीत विरासत कि झलक दिखने के लिए लिखी.......अब सोचिये कि ऐसे में अगर विदेशी हमें संगीत कि समझ कराये तो ऐसा ही हैं जैसे पोता, दादा जी को धोती पहनना सिखाये, राक्षस साधू-महात्माओं को धर्म का मर्म समझाए और शेर किसी हिरन को अपने पंजे में दबाये अहिंसा कि शिक्षा दे ......नहीं..??
 
हम लोगों के यहाँ सात सुर से संगीत बनता हैं इसलिए 'सात तारों से बना सितार' बजाते हैं हमलोग, लेकिन अंग्रेजों को क्या समझ में आ गया जो छह तार वाला वाध्य-यंत्र बना लिया और सितार कि तर्ज पर उन्सका नामकरण गिटार कर दिया ??

इतना कहने के बाद भी हमारे भारतीय नहीं मानेगे मेरी बात पर जब कोई अंग्रेज कहेगा कि उसने गायों को भारतीय संगीत सुनाया तो ज्यादा दूध लिया या जब शोध सामने आएगा कि भारतीय संगीत का असर फसलों पर पड़ता हैं और वे जल्दी-जल्दी बढ़ने लगते हैं तब हम विश्वास करेंगे.... क्यों ?? ये सब शोध अंग्रेज को भले आश्चर्यचकित कर दे पर अगर ये शोध किसी भारतीय को आश्चर्यचकित करते हैं तो ये दुःख: कि बात हैं।

हमारे देश वासियों को लगता हैं हम लोग पिछड़े हुए हैं जो हमारे यहाँ छोटे-छोटे घर हैं और दूसरी और अंग्रेज तकनीकी विद्या के कितने ज्ञानी हैं, वो खुशनसीब हैं जो उनके यहाँ इतनी ऊँची-ऊँची अट्टालिकाए (Buildings) हैं और इतने बड़े-बड़े पुल हैं........ इस पर मैं अपने देशवासियों से यहीं कहूँगा कि ऊँचे घर बनाना मज़बूरी और जरुरत हैं उनकी, विशेषता नहीं..... हमलोग बहुत भाग्यशाली हैं जो अपनी धरती माँ कि गोद में रहते हैं विदेशियों कि तरह माँ के सर पर चढ़ कर नहीं बैठते।
 
हम लोगों को घर के छत, आँगन और द्वार का सुख प्राप्त होता हैं .....जिसमें गर्मी में सुबह-शाम ठंडी-ठंडी हवा जो हमें प्रकृति ने उपहार-स्वरूप प्रदान किये हैं उसका आनंद लेते हैं और ठण्ड में तो दिन-दिन भर छत या आँगन में बैठकर सूर्य देव कि आशीर्वाद रूपी किरणों को अपने शारीर में समाते हैं, विदेशियों कि तरह धुप सेंकने के लिए नंगे होकर समुन्द्र के किनारे रेत पर लेटते नहीं हैं.............रही बात क्षमता कि तो जरुरत पड़ने पर हमने समुन्द्र पर भी पत्थरों का पुल बनाया था और रावण तो पृथ्वी से लेकर स्वर्ग तक सीढ़ी बनाने कि तैयारी कर रहा था तो अगर वो चाहता तो गगनचुम्बी इमारते भी बना सकता था लेकिन अगर नहीं बनाया तो इसलिए कि वो विद्वान था।
 
तथ्यपूर्ण बात तो ये हैं कि हम अपनी धरती माँ के जितने ही करीब रहेंगे रोगों से उतना ही दूर रहंगे और जितना दूर रहेंगे रोगों के उतना करीब जायेंगे। हमारे मित्रों को इस बात कि भी शर्म महसूस होती हैं कि हम लोग कितने स्वार्थी, बेईमान, झूठे, मक्कार, भ्रष्टाचारी और चोर होते हैं जबकि अंग्रेज लोग कितने ईमानदार होते हैं ....हम लोगों के यहाँ कितनी धुल और गंदगी हैं जबकि उनके यहाँ तो लोग महीने में एक-दो बार ही झाड़ू मारा करते हैं.......तो जान लीजिये कि वैज्ञानिक शोध ये कहती हैं कि साफ़ सुथरे पर्यावरण में पलकर बड़े होने वाले शिशु कमजोर होते हैं, उनके अन्दर रोगों से लड़ने कि शक्ति नहीं होती दूसरी तरफ दूषित वातावरण में पलकर बढ़ने वाले शिशु रोगों से लड़ने के लिए शक्ति संपन्न होते हैं। इसका अर्थ ये मत लगा लीजियेगा कि मैं गंदगी पसंद आदमी हूँ, मैं भारत में गंदगी को बढ़ावा दे रहा हूँ ........मेरा अर्थ ये हैं कि सीमा से बाहर शुद्धता भी अच्छी नहीं होती और जहाँ तक भारत कि बात हैं तो यहाँ हद से ज्यादा गंदगी हैं जिसे साफ़ करने कि अत्यंत आवश्यकता हैं.......रही बात झाड़ू मारने कि तो घर गन्दा हो या ना हों झाड़ू तो रोज मारना ही चाहिए क्योंकि झाड़ू मारकर हम सिर्फ धुल-गंदगी को ही बाहर नहीं करते बल्कि अपशकुन को भी झाड -फुहाड़ कर बाहर कर देते हैं तभी तो हम गरीब होते हुए भी खुश रहते हैं।
 
 भारतीय को समृद्धि कि सूची में पांचवे स्थान पर रखा गया था क्योंकि ये पैसे के मामले में भले कम हैं लेकिन और लोगो से ज्यादा सुखी हैं और जहाँ तक हमारे ऐसे बनने की बात है तो वो सब अंग्रेजों ने ही सिखाया है हमें, नहीं तो उसके आने के पहले हम छल-कपट जानते तक नहीं थे........उन्होंने हमें धर्म-विहीन और चरित्र-विहीन शिक्षा देना शुरू किया ताकि हम हिन्दू धर्म से घृणा करने लगे और ईसाई बन जाए।
 
उन्होंने नौकरी आधारित शिक्षा व्यवस्था लागू की ताकि बच्चे नौकरी करने कि पढाई के अलावा और कुछ सोच ही न पाए. इसका परिणाम तो देख ही रहे हैं कि अभी के बच्चे को अगर चरित्र, धर्म या देशहित के बारे में कुछ कहेंगे तो वो सुनना ही नहीं चाहता..........वो कहता है उसे अभी सिर्फ अपने कोर्स कि किताबों से मतलब रखना हैं और किसी चीज़ से कोई मतलब नहीं उसे......अभी कि शिक्षा का एकमात्र उद्द्येश्य नौकरी पाना रह गया हैं लोगो को किताबी ज्ञान तो बहुत मिल जाता हैं कि वो डॉक्टर, इंजिनियर, वकील, आई.ए.एस. या नेता बन जाता हैं पर उसकी नैतिक शिक्षा न्यूनतम स्तर कि भी नहीं होती जिसका कारण रोज एक-से-बढ़कर एक अपराध और घोटाले करते रहते हैं ये लोग। अभी कि शिक्षा पाकर बच्चे नौकरी पा लेते हैं लेकिन उनका मानसिक और बौद्धिक विकास नहीं हो पाता हैं, इस मामले में वो पिछड़े ही रह जाते हैं जबकि हमारी सभ्यता में ऐसी शिक्षा दी जाती थी जिससे उस व्यक्ति के पूर्ण व्यक्तिगत का विकास होता था.....उसकी बुद्धि का विकास होता था, उसकी सोचने-समझने कि शक्ति बढती थी।
 
 आज ये अंग्रेज जो पूरी दुनिया में ढोल पिट रहे हैं कि ईसाईयत के कारण ही वो सभ्य और विकसित हुए और उनके यहाँ इतनी वैज्ञानिक प्रगति हुई तो क्या इस बात का उत्तर हैं उनके पास कि कट्टर और रुढ़िवादी ईसाई धर्म जो तलवार के बल पर 25-50 कि संख्या से शुरू होकर पूरा विश्व में फैलाया गया, जो ये कहता हो कि सिर्फ बाईबल पर आँख बंदकर भरोसा करने वाले लोग ही स्वर्ग जायेंगे बाकी सब नर्क जाएंगे,,,जिस धर्म में बाईबल के विरुद्ध बोलने कि हिम्मत बड़ा से बड़ा व्यक्ति भी नहीं कर सकता वो इतना विकासशील कैसे बन गया ???
400 साल पहले जब गैलीलियों ने यूरोप की जनता को इस सच्चाई से अवगत कराना चाहा कि पृथ्वी सूर्य कि परिक्रमा करती हैं तो ईसाई धर्म-गुरुओं ने उसे खम्बे से बांधकर जीवित जलाये जाने का दंड दे दिया वो तो बेचारा क्षमा मांगकर बाल-बाल बचा। एक और प्रसिद्ध पोप, उनका नाम मुझे अभी याद नहीं, वे भी मानते थे कि पृथ्वी सूर्य के चारो और घुमती हैं लेकिन जीवन भर बेचारे कभी कहने की हिम्मत नहीं जुटा पाए...उनके मरने के बाद उनकी डायरी से ये बात पता चली। क्या ऐसा धर्म वैज्ञानिक उन्नति में कभी सहायक हो सकता हैं ??? ये तो सहायक की बजाय बाधक ही बन सकता हैं।

हिन्दू जैसे खुले धर्म को जिसे गरियाने की पूरी स्वतंत्रता मिली हुई हैं सबको, जिसमें कोई मूर्ति-पूजा करता हैं, कोई ध्यान-साधना, कोई तन्त्र-साधना, कोई मन्त्र-साधना ....... ऐसे अनगिनत तरीके हैं इस धर्म में, जिस धर्म में कोई बंधन नहीं ..जिसमें नित नए खोज शामिल किये जा सकते हैं और समय तथा परिस्थिति के अनुसार बदलाव करने की पूरी स्वतंत्रता हैं, जिसने सिर्फ पूजा-पाठ ही नहीं बल्कि जीवन जीने की कला सिखाई, 'वसुधैव कुटुम्बकम' का नारा दिया, पूरे विश्व को अपना भाई माना, जिसने अंक शास्त्र, ज्योतिष-शास्त्र, आयुर्वेद-शास्त्र, संगीत-कला, भवन निर्माण कला, काम-कला आदि जैसे अनगिनत कलाएं तुम लोगों (ईसाईयों) को दी और तुम लोग कृतघ्न, जो नित्यकर्म के बाद अपने गुदा को पानी से धोना भी नहीं जानते, हमें ही गरियाकर चले गए।
अगर ईसाई धर्म के कारण ही तुमने तरक्की की तो वो तो 1800 साल पहले कर लेनी चाहिए थी, पर तुमने तो 200-300 साल पहले जब सबको लूटना शुरू किया और यहाँ (भारत) के ज्ञान को सीख-सीखकर यहाँ के धन-दौलत को हड़पना शुरू किया तबसे तुमने तरक्की की ऐसा क्यों ???
 
ये दुनिया करोडों वर्ष पुरानी हैं लेकिन तुम लोगों को 'ईसा और मुहम्मद' के पहले का इतिहास पता ही नहीं कहते हो बड़े-बड़े विशाल भवन बना दिए तुमने. अरे जाओ, जब आज तक पिछवाडा धोना सीख ही नहीं पाए, खाना बनाना सीख ही नहीं पाए, जो की अभी तक उबालकर नमक डालकर खाते तो बड़े-बड़े भवन बनाओगे तुम। एक भी ग्रन्थ तुम्हारे पास-भवन निर्माण के ?? जो भी छोटे-मोटे होंगे वो हमारे ही नक़ल किये हुए होंगे।

प्रोफ़ेसर ओक ने तो सिद्ध कर दिया की भारत में जितने प्राचीन भवन हैं वो हिन्दू भवन या मंदिर हैं जिसे मुस्लिम शासकों ने हड़प कर अपना नाम दे दिया और विश्व में भी जो बड़े-बड़े भवन हैं उसमें हिन्दू शैली की ही प्रधानता हैं। ये भी हंसी की ही बात हैं की मुग़ल शासक महल नहीं सिर्फ मकबरे और मस्जिद ही बनवाया करते थे भारत में। जो हमेशा गद्दी के लिए अपने बाप-भाईयों से लड़ता-झगड़ता रहता था, अपना जीवन युद्ध लड़ने में बिता दिया करते थे उसके मन में अपने बाप या पत्नी के लिए विशाल भवन बनाने का विचार आ जाया करता था !! इतना प्यार करता था अपनी पत्नी से जिसको बच्चा पैदा करवाते करवाते मार डाला उसने !! मुमताज़ की मौत बच्चा पैदा करने के दौरान ही हुई थी और उसके पहले वो 14 बच्चे को जन्म दे चुकी थी. जो भारत को बर्बाद करने के लिए आया था, यहाँ के नागरिकों को लूटकर, लाखों-लाख हिन्दुओं को काटकर और यहाँ के मंदिर और संस्कृतिक विरासत को तहस-नहस करके अपार खुशी का अनुभव करता था वो यहाँ कोई सृजनात्मक विरासत कार्य करे ये तो मेरे गले से नहीं उतर सकता। जिसके पास अपना कोई स्थापत्य कला का ग्रन्थ नहीं हैं वो भारत की स्थापत्य कला को देखकर ये कहने को मजबूर हो गया था की भारत इस दुनिया का आश्चर्य हैं इसके जैसा दूसरा देश पूरी दुनिया में कहीं नहीं हो सकता हैं, वो लोग अगर ताजमहल बनाने का दावा करते हैं तो ये ऐसा ही हैं जैसा 3 साल के बच्चे द्वारा दसवीं का प्रश्न हल करना।

दुःख तो ये हैं की आज़ाद देश आज़ाद होने के बाद भी मुसलमानों को खुश रखने के लिए इतिहास में कोई सुधर नहीं किये, हमारे मुसलमान और ईसाई भाइयों के मूत्र-पान करने वाले हमारे राजनितिक नेताओं ने। आज जब ये सिद्ध हो चूका हैं की ताजमहल शाहजहाँ ने नहीं बनवाया बल्कि उससे सौ-दो-सौ साल पहले का बना हुआ हैं तो ऐसे में अगर सरकार सच्चाई लाने की हिम्मत करती तो क्या हम भारतीय गर्व का अनुभव नहीं करते ? क्या हमारी हीन भावना दूर होने में मदद नहीं मिलती? ताजमहल साथ आश्चर्यों में से एक हैं ये सब जानते हैं पर सात आश्चर्यों में ये क्यों शामिल हैं ये कितने लोग जानते हैं ? इसके शामिल होने का कारण इसकी उत्कृष्ट स्थापत्य कला, इसकी अदभुत कारीगरी को अब तक आधुनिक इंजीनियर समझने की कोशिश कर रहे हैं। जिस प्रकार कुतुबमीनार के लौह-स्तम्भ की तकनीक को समझने की कोशिश कर रहे हैं......जो की अब तक समझ नहीं पाए हैं। (इस भुलावे में मत रहिएगा की कुतुबमीनार को कुतुबद्दीन एबक ने बनवाया था)
 
मोटी-मोटी तो मैं इतना ही जानता हूँ की यमुना नहीं के किनारे के गीली मुलायम मिटटी को इतने विशाल भवन के भार को सेहन करने लायक बनाना, पूरे में सिर्फ पत्थरों का काम करना समान्य सी बात नहीं हैं. इसको बनाने वाले इंजिनियर के इंजीनियरिंग प्रतिभा को देखकर अभी के इंजीनियर दांतों तले ऊँगली दबा रहे हैं। अगर ये सब बातें जनता के सामने आएगी तभी तो हम अपना खोया आत्मविश्वास प्राप्त कर पायेंगे. 1200 सालों तक हमें लूटते रहे, लूटते रहे, लूटते रहे और जब लुट-खसौट कर कंगाल कर दिया तब अब हमें एहसास करा रहे हों की हम कितने दीन-हीन हैं और ऊपर से हमें इतिहास भी गलत पढ़ा रहे हैं इस डर से की कहीं फिर से अपने पूर्वजों का गौरव इतिहास पढ़कर हम अपना आत्मविश्वास ना पा लें। अरे, अगर हिम्मत हैं तो एक बार सही इतिहास पढ़कर देखों हमें हम स्वाभिमानी भारतीय जो सिर्फ अपने वचन को टूटने से बचाने के लिए जान तक गवां देते थे इतने दिनों तक दुश्मनों के अत्याचार सहते रहे तो ऐसे में हमारा आत्म-विश्वास टूटना स्वभाविक ही हैं. हम भारतीय जो एक-एक पैसे के लिए, अन्न के एक-एक दाने के लिए इतने दिनों तक तरसते रहे तो आज हीन भावना में डूब गए, लालची बन गए, स्वार्थी बन गए तो ये कोई शर्म की बात नहीं. ऐसी परिस्थिति में तो धर्मराज युधिष्ठिर के भी पग डगमगा जाएँ. आखिर युधिष्ठिर जी भी तो बुरे समय में धर्म से विचलित हो गए थे जो अपनी पत्नी तक को जुए में दावं पर लगा दिए थे।

चलिए इतिहास तो बहुत हो गया अब वर्तमान पर आते हैं
वर्तमान में आप लोग देख ही रहे हैं कि विदेशी हमारे यहाँ से डाक्टर-इंजिनियर और मैनेजर को ले जा रहे हैं इसलिए कि उनके पास हम भारतियों कि तुलना में दिमाग बहुत ही कम हैं। आप लोग भी पेपरों में पढ़ते रहते होंगे कि अमेरिका में गणित पढ़ाने वाले शिक्षकों की कमी हो जाती हैं जिसके लिए वो भारत में शिक्षक की मांग करते हैं तो कभी ओबामा भारतीय बच्चो की प्रतिभा से डर कर अमेरिकी बच्चो को सावधान होने की नसीहत देते हैं । पूर्वजों द्वारा लुटा हुआ माल हैं तो अपनी कंपनी खड़ी कर लेते हैं लेकिन दिमाग कहाँ से लायेंगे....उसके लिए उन्हें यहीं आना पड़ता हैं ....हम बेचारे भारतीय गरीब पैसे के लालच में बड़े गर्व से उनकी मजदूरी करने चले जाते थे, पर अब परिस्थिति बदलनी शुरू हो गयी हैं। अब हमारे युवा भी विदेश जाने की बजाय अपने देश की सेवा करना शुरू कर दिए हैं ....वो दिन दूर नहीं जब हमारे युवाओं पर टिके विदेशी फिर से हमारे गुलाम बनेंगे। फिर से इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि पूरे विश्व पर पहले हमारा शासन चलता था जिसका इतिहास मिटा दिया गया हैं.
 
लेकिन जिस तरह सालों पहले हुई हत्या जिसकी खूनी ने अपनी तरफ से सारे सबूत मिटा देने की भरसक कोशिश की हो, उसकी जांच अगर की जाती हैं तो कई सुराग मिल जाते हैं जिससे गुत्थी सुलझ ही जाती हैं, बिलकुल यहीं कहानी हमारे इतिहास के साथ भी हैं जिस तरह अब हमारे युवा विदेशों के करोड़ों रुपये की नौकरी को ठुकराकर अपने देश में ही इडली, बड़ा पाव सब्जी बेचकर या चालित शौचालय, रिक्शा आदि का कारोबार कर करोड़ों रुपये सालाना कम रहे हैं, ये संकेत हैं की अब हमारे युवा अपना खोया आत्म-विशवास प्राप्त कर रहे हैं और उनमे नेतृत्व क्षमता भी लौट चुकी हैं तो वो दीन भी दूर नहीं जब पूरे विश्व का नेतृत्व फिर से हम भारतियों के हाथों में होगा और हम पुन: विश्वगुरु के सिंहासन पर आसीन होंगे। जिस तरह हरेक के लिए दिन के बाद रात और रात के बाद दिन आता है वैसे हम लोगों के 1200 सालों से ज्यादा रात का समय कट चुका हैं अब दिन निकल आया हैं ...इसका उदाहरण देख लो भारत का झारखंड राज्य जहां जनसँख्या 3 करोड़ की नहीं हैं और यहाँ 14,000 करोड़ का घोटाला हो जाता हैं फिर भी ये राज्य प्रगति कर रहा है।

इसलिए अपने पराधीन मानसिकता से बाहर आओ, डर को निकालों अपने अन्दर से हमें किसी दूसरे का सहारा लेकर नहीं चलना हैं। खुद हमारे पैर ही इतने मजबूत हैं की पूरी दुनिया को अपने पैरों तले रौंद सकते हैं हम ...हम वही हैं जिसने विश्वविजेता का सपना देखने वाले सिकन्दर का दंभ चूर-चूर कर दिया था। गौरी को 13 बार अपने पैरों पर गिराकर गिडगिडाने को मजबूर किया और जीवनदान दिया। जिस प्रकार बिल्ली चूहे के साथ खेलती रहती हैं वैसे ही ये दुर्भाग्य था हमारा जो शत्रू के चंगुल में फंस गए क्योंकि उस चूहे ने अपनों की ही सहायता ले ली पर हमने उसे छोड़ा नहीं, 
 
अँधा हो जाने के बावजूद भी उसे मारकर मरे.. जिस प्रकार जलवाष्प की नन्ही-नन्ही पानी की बूंदें भी एकत्रित हो जाने पर घनघोर वर्षा कर प्रलय ला देती है, अदृश्य हवा भी गति पाकर भयंकर तबाही मचा देती है, नदी-नाले की छोटी लहरें नदी में मिलकर एक होती है तो गर्जना करती हुई अपने आगे आने वाली हरेक अवरोधों को हटाती हुई आगे बढती रहती है वैसे ही मैं अभी भले ही जलवाष्प की एक छोटी सी बूंद हूँ, पर अगर आप लोग मेरा साथ दो तो इसमें कोई शक नहीं की हम भारतीय फिर से इस दुनिया को अपने चरणों में झुका देंगे. और मुझे पता हैं दोस्त मेरे जैसी करोड़ों बूंदें एकृत होकर बरसने को बेकरार हैं इसलिए अब और ज्यादा विलंब ना करो और मेरे हाँथ में अपना हाँथ दो मित्र और अगर किसी को इस लेख से किसी भी प्रकार की चोट पहुंचाई तो उसके लिए भी क्षमा मांगता हूँ।

मैं गर्व से कह सकता हूँ मैं भारतीय हूँ

मेरा भारत महान

जय माँ भारती
Read More »

Thursday, June 7, 2012

क्या आप जानते हैं सेकुलरिज्म क्या है



क्या आप सचमुच में जानते हैं कि....... सेकुलरिज्म क्या है.....?????आजकल गलतफहमी में सेकुलर मतलब ....... "हिन्दू-मुस्लिम भाई-भाई" समझ लिया जाता है......और, ऐसा करके कुछ लोग गर्व की अनुभूति भी करते हैं .... जबकि हकीकत में लोगों को सेकुलरता का सही अर्थ तक मालूम नहीं है...!दरअसल... सेकुलर शब्द..... लैटिन भाषा के "सेकुलो" (Seculo) शब्द से निकला है।जिसका अंग्रेजी में अर्थ है 'इन दी वर्ल्ड (in the world) ..!कहानी कुछ यूँ है कि.....'कैथोलिक ईसाइयों' में संन्यास लेने की परम्परा प्रचलित है।
इसके अनुसार संन्यासी पुरुषों को मौंक(Monk) और महिलाओं को नन (Nun) कहा जाता है।

परन्तु.... जो व्यक्ति संन्यास लिए बिना....समाज में रहते हुए सन्यासियों के धार्मिक कामों में मदद करते थे, उन्हें ""सेकुलर""(Secular) कहा जाता था।

और .. सेकुलरिज्म कि कहानी कुछ यूँ है कि....15 वीं सदी में पोप को असीमित अधिकार प्राप्त थे .... यहाँ तक कि... उसे यूरोप के किसी भी राजा को हटाने तथा नए राजा को नियुक्त करने.... और, किसी को भी धर्म से बहिष्कृत करने तक के अधिकार प्राप्त थे।
यहाँ तक कि.. पोप की अनुमति के बिना कोई राजा शादी भी नहीं कर सकता था।

एक बार .... इंग्लैंड के राजा हेनरी 8 वें (1491-1547) ने 1533 में अपनी रानी कैथरीन (Catherine) को तलाक देने और एन्ने बोलेन्न (Anne Bollen) नामक विधवा से शादी करने के लिए पॉप क्लीमेंट 7th से अनुमति मांगी तो पॉप ने साफ़ मना कर दिया और, हेनरी को धर्म से बहिष्कृत कर दिया। इस पर नाराज़ होकर हेनरी ने अपने राज्य इंग्लैंड को पोप की सता से अलग करके 'चर्च ऑफ़ इंग्लैंड "की स्थापना कर दी.
इसके लिए उसने 1534 में इंग्लैंड की संसद में 'एक्ट ऑफ़ सुप्रीमैसी (Act of suprimacy ) नामक कानून पारित किया ...जिसका शीर्षक था "सेपरेशन ऑफ़ चर्च एंड स्टेट ( separation of church and state) "..... जिसके अनुसार चर्च न तो राज्य के कामों में हस्तक्षेप कर सकता था और न ही राज्य चर्च के कामों में दखल दे सकता था।

इस चर्च और राज्य के अलगाव के सिद्धांत को उसने ""सेकुलरिज्म(Secularism)"" का नाम दिया..।

आज भी.... आज अमेरिका में सेकुलरिज्म का यही अर्थ माना जाता है...!

परन्तु.... लेकिन भारत में कुछ धूर्तों और सत्तालोलुप लोगों ने सेकुलर शब्द का अर्थ "धर्मनिरपेक्ष "कर दिया..... जिसका मूल अंग्रेजी शब्द से दूर का भी सम्बन्ध नहीं है.

यही नहीं इन मक्कार लोगों ने सेकुलर शब्द का एक विलोम शब्द भी गढ़ लिया "साम्प्रदायवाद "।

आज यह सत्तालोभी और हिंदुविरोधी नेता अपने सभी अपराधों पर परदा डालने और हिन्दुओं को कुचलने व् उन्हें फ़साने के लिए इन शब्दों का ही उपयोग करते हैं।

हमें इस बात को अच्छे तरीके से समझना होगा कि आज देशद्रोही और गद्दारी रूपी भेड़िये ने सेकुलरिज्म रूपी भेड़ क़ी खाल ओढ़ रखी है ...!

असल में... ये सेकुलर नहीं... बल्कि ... ऐसे लोग हैं ..... जो न तो कभी देशभक्त हो सकते है... और, न ही कभी देश क़ी भलाई कर सकते ..!

क्या इस तरह के तथाकथित सेकुलर लोग उसी समय संतुष्ट होंगे जब भारत में " निजामे मुस्तफा " लागू हो जायेगा ...????

अगर किसी को मेरी बात पर शक हो तो... वह एक साल किसी मुस्लिम बहुल मोहल्ले में रह कर देख ले ..!

जो बिकाऊ पत्रकार हमें सांप्रदायिक कहते है.............. उनको खुली चुनौती है कि.. वह देश की किसी स्थानीय खबर को पहले हिंदी या अंग्रेजी अखबार में देखें फिर वही खबर उर्दू अखबार में देखें ..!

उन्हें फ़ौरन पता चल जायेगा कि सच्चाई क्या है....?????

क्या कभी किसी ने इस बात के बारे में पता किया है कि....... सरकार जिन मदरसों को अनुदान देती है , उनकी किताबों की पाठ्य पुस्तकों के क्या पढाया जाता है ....???

हिन्दुओं के टैक्स के पैसों से दूसरे पाकिस्तान के भवन की ईंट पर ईंट रखी जा रही है ...!

क्या किसी ने सुना है कि मुल्ले मस्जिदों में जो खुतबे का बाद भाषण देते हैं ....उन में क्या कहा जाता है....... ??????????

हिन्दुओं को सेकुलरों की चालाकियों से सावधान हो जाना चाहिए ..!

याद रखें ....जो जो समाज अपने शत्रु को नहीं पहचानता है.... वह नष्ट हो जाता है ....!!

जय महाकाल...!!!
Read More »

Wednesday, May 30, 2012

ऐसी महा हरामखोर मीडिया है हमारी



कांग्रेस और चर्च तथा अरब देशो के फेके हुए टुकड़े पर पलने वाली मीडिया के हेडलाइन का विरोधाभास आखिर नीचता और लालच की एक हद होती है.

जरा आपलोग हमारे देश की नीच और कुत्ती मीडिया की हेडलाइन का विरोधाभास सुनिए :

१- शिव सेना या बीजेपी अगर पुणे मे मारे गए किसानो के पक्ष मे कोंग्रेसी सरकार की बख़ियाँ उधेड़ते है तो मीडिया मे हेडलाइन होती है “अब इस मुद्दे पर राजनीति शुरू हो गई है“

वही रौल विंची भट्टा पारसौल मे नौटंकी करने जाता है तो उसे बार बार केन्द्रित किया जाता है और हेडलाइन होती है “आज राहुल गांधी ने पीड़ित किसानो का हाल चाल पूछा और मृतको के प्रति संवेदना व्यक्त की…और माया सरकार पर जमकर बरसे”

ऐसी महा हरामखोर मीडिया है हमारी .

सभी चर्च द्वारा पोषित और देश द्रोहीयों कश्मीरी अलगाववादियों के समर्थित इन चेनलों का यही हाल है भाई …. बीजेपी के नेताओ को राजनीति से प्रेरित करना, अपने डिबेट कार्यक्रमों मे बीजेपी का एक नेता और मुक़ाबले मे 2-3 कोंग्रेसी + उनके सहयोगी वामपंथि कुत्तो से लडवाकर मुद्दो को गुमराह करना, लक्ष्य होता है बीजेपी को अराष्ट्र पार्टी के रूप मे चित्रित करना, ताकि हर युवा के मुख से यही निकले बीजेपी एक नकारा पार्टी है सांप्रदायिक पार्टी है । इनके लिए कॉंग्रेस ने अगर 10 किलो का भ्रष्टाचार किया तो उसके सामने बीजेपी का 30 ग्राम का भ्रष्टाचार 20 किलो का हो जाएगा ….

२- अगर १० महीने से डियूटी से अनुपस्थित और हिरासत मे दो मौत के अभियुक्त तथा जबरन फर्जी एफिडेविट बनाने के आरोपी संजीव भट्ट को पुलिस गिरफ्तार करती है तो नीच मिडिया की हेडलाईन होती है " मोदी का बदला " या " यही है मोदी की असली सद्भावना " लेकिन अगर कांग्रेस शासित राज्यों मे किरण बेदी का प्रोमोशन सरकार रोक दे या बाबा रामदेव और आचार्य बल्क्रिशन के पीछे बदले के लिए पूरी सीबीआई लगा दे या महाराष्ट्र मे पांच पुलिस अधिकारियो को गिरफ्तार कार लिया जाये या केन्द्र सरकार "नोट फार वोट " मे उल्टे बीजेपी के सांसदों को गिरफ्तार कर ले तो फिर इस नीच मीडिया की सनसनी खेज हेडलाईन क्यों नहीं होती ?

३- आज बाबा रामदेव के सम्पति के पीछे पूरी मीडिया पड़ी है जो उन्होंने योग या दवाओ से अर्जित की है .. इसमें कोई अपराध नहीं है ..
लेकिन आज की नीच मीडिया राबर्ट वढेरा के साम्राज्य के पीछे क्यों नहीं पड़ती ? उसने सिर्फ १० साल मे खरबो की सम्पति कैसे बनाई ? उसने कौन सा जादू किया ? मीडिया सोनिया से क्यों डरती है ? क्या उसे अपनी बोटी और हड्डी खोने का डर है ?

४- यदुरप्पा के पीछे पूरी मीडिया कई महीनो तक जैसे एक सोचा समझा आन्दोलन चलाया .. वो धार और वो मीडिया का पैनापन शीला दिछित और अशोक गहलोत के भ्रष्टाचार पर खामोश क्यों हों जाता है ??

५- गुजरात दंगो के १० साल बीत जाने के बाद भी मीडिया जाकिया जाफरी , जाहिरा शेख , और दूसरे मुस्लिम पीडितो के लिए बहुत सद्भावना दिखाती है .. वो सद्भावना राजबाला के लिए क्यों नहीं ???

६- गुजरात दंगो के लिए आज मिडिया मोदी के लिए जिन शब्दों का उपयोग करती है वही शब्द और वही धार वो कांग्रेस के लिए सिख्ख विरोधी दंगे और भागलपुर दंगे और मुंबई दंगे के लिए क्यों नहीं इस्तेमाल करती ?

७- अभी भरतपुर दंगे के लिए गहलोत को मिडिया "मुसलमानों का कातिल " क्यों नहीं कहती ?

आज की इस मीडिया के प्रमुख कार्य है :
1. आरएसएस को सिम्मी के कतार मे खड़ा करना

2. भगवा मे आतंकवाद ढूँढना, डिग्गी के बयानो को जानबूझकर हवा देना ताकि हिंदुओं की वाणी उसी मे बहकर हिन हो जाये….

3. हिन्दू संस्कृति मे दोष ढूँढना, अमरनाथ यात्रा को ढोंघ करार देना – फर्जी विज्ञानी को बुलाकर के अमरनाथ यात्रा का वैज्ञानिक बिन्दु देखना ताकि हिन्दू यह समझे की यह एक ढोंग है.

4. लंदन मे 4 लोग मारे तो उसे रोज दवाई की तरह दर्शकों को पिलानाऔर ठीक उसी समय मे मुरादाबाद मे भगवान शिव की यात्रा मे शामिल 4-5 हिन्दू मरे दंगो मे तो उसे बिलकुल भी नहीं बताना

5. केरल मे सत्ताधारी पार्टी के जिहादी युवक पाकिस्तानी पर्चे बांटे तो बड़ी बात नहीं है, लेकिन सुब्रमण्यम स्वामी के बयान बड़ी बात है…..

6. मुहम्मद के डेन्मार्क मे बने कार्टून का गुस्सा यहाँ के मुस्लिम कोल्हापुर और हुबली मे सरकारी संपत्ति और मुर्दे हिंदुओं पर हाथ साफ करें तो इस मीडिया की हेडलाइन होती है“इनका गुस्सा जायज है किसी के धर्म की भावनाओ के साथ खिलवाड़ उचित नहीं है “वही एक सांस्कृतिक आतंकवादी एम एफ हुसेन बहुसंख्यक (?) हिंदुओं के देवी देवताओ के नग्न चित्र बनाए और उसके प्रतिकृया मे बहुसंख्यक हिंदुओं के देश मे मुट्ठी भर संगठन विरोध करें तोमीडिया उन पर तोगड़िया टेग लगाकर हुसेन के प्रति अपनी हमदर्दी बताती है….

7. गोवा मे मंदिर की मूर्तियों पर पैशाब करके “ईसा की ताकत बताना” और मूर्तियाँ ईसाई तोड़े तो कोई बात नहीं….

केरल के मुस्लिम बहुल इलाकों मे मिशनरी के गुजरने मात्र से मौत मिले तो मीडिया मे कोई हेडलाइन / बात नहीं …..क्योंकि दोनों “मित्र समुंह″ का टकराव है

8. लेकिन एक मर्द हिन्दू उड़ीसा मे ईसाई मिशनरियों को उनके कुकृत्य पर जिंदा जलाए …..तो इस मीडिया की हेडलाइन होती है”देश मे हिन्दू कट्टरपंथ बढ़ रहा है“

9. हमेशा इन्हे व्यवस्था परिवर्तन करने निकले स्वामी रामदेव मे एक चोर, पाखंडी नजर आता है

10. हर रोज कम से कम 4-5 खबरे ऐसी होती है जहां कोई पुजारी किसी मंदिर मे बलात्कार करता है, कोई हिन्दू संत ढोंगी निकलता है, आसाराम हत्यारा निकलता है आरएसएस के खिलाफ स्टिंग ऑपरेशन होता है, ऐसी मीडिया जिसे सिर्फ हिन्दू के अंदर ही बलात्कारी, पाखंडी, चोर नजर आता हो वो कैसे लोगो को जगाएगी ? जब कोई देश की मीडिया किसी निजी संस्थानो के हाथो मे हो तो उससे किसी भी तरह की आशा रखना व्यर्थ है ….. वह तो सिर्फ अपने आकाओ के कहने पर अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए बहुसंख्यकों को बरगलाएगी…. ताकि हिन्दू ये खबरे पढ़ पढ़ कर के अपने आप को हीन समझने लगे और मिशनरियों के लिए धर्म परिवर्तन के लिए पहली सीढी तैयार हो जाये ….

११- यदि कोई मुस्लिम या ईसाई कोई हिंदू विरोधी किताब लिखे तो वो "अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता" और यदि कोई हिंदू लिखे तो अपराध महानगरो मे “हिन्दू नास्तिको” (नपुंसको) की तादात बढ़ रही है गले मे क्रॉस शोभायमान है…. वाणी मे आधुनिक कंपनीतंत्र से प्रेरित सेकुलरवाद- -
अब तो यह कहने मे भी शर्म आती है की जागो हिंदुओं जागो । क्योंकि एक भाषण मात्र से ही यदा कडा सिर्फ एक हिन्दू की आँख खुलती है लेकिन बाकी जागते हुए भी अंदर सोये रहते है … जयचंदी का जिन कहीं न कहीं उनमे हिलोरे लेता है ….

इस बात का आप कभी घमंड न करें की आपकी संख्या 8० % हैं….. इसमे से आधे तो सेकुलर की औलादे हैबाकी वे जो मौन विरोध करतेहै लेकिन वोट नहीं देते है क्योंकि उन्हे अपना व्यापारिक समय प्यारा है ..
और जिस तरह से इस देश मे मुस्लिम जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है उस हिसाब से २०६० तक हिंदू इस देश मे अल्पसंख्यक हों जायेंगे ..जागो हिंदू जागो अपने वोट की कीमत समझो !! अपने जाति और छेत्र को भूल कर एक नई सुबह के लिए तैयार हों जाओ ..

मीडिया को समझो बंधु मीडिया को … हमारे देश की मीडिया दुनिया की की सबसे बड़ी नीच मिडिया है !!
Read More »

Tuesday, May 29, 2012

कॉंग्रेस की आत्मव्यथा

कांग्रेस की कहानी ,कांग्रेस की जुबानी
मैं कांग्रेस हूँ.मेरा जन्म २८ दिसंबर,१८८५ को तेजपाल संस्कृत विद्यालय,मुम्बई में हुआ.मेरे पिता एक अंग्रेज ए.ओ.ह्युम थे जो एक नौकरशाह थे.तत्कालीन गवर्नर जनरल लार्ड डफरिन ने मेरे जन्म में अच्छी-खासी अभिरुचि ली थी.मेरी माता थी अंग्रेजों का भय कि देश में फ़िर से १८५७ जैसी क्रांति न भड़क उठे.उन्होंने मुझे इसलिए जन्म दिया ताकि उन्हें मालूम हो सके कि गुलाम भारत के लोग क्या चाहते हैं.मेरे जन्म के समय मात्र ७२ लोग मेरे परिवार में थे.लेकिन १८८८ आते-आते मेरे परिवार में इतने लोग जुड़ गए कि अंग्रेज डर गए और नौकरशाहों के मेरे अधिवेशन में शामिल होने पर रोक लगा दी गई.शुरू में मेरे परिवार के लोग डरे-सहमे थे और उनकी भाषा याचकों की भाषा थी.तब मैं भी बच्ची थी.२५ साल की तरुनाई आते-आते मेरे अन्दर इतना बल आ चुका था मैं अधिकार के साथ अंग्रेजों के समक्ष अपनी मांगे रख सकूँ.मेरे एक पुत्र तिलक ने तो अंग्रेजों से साफ-साफ कह दिया कि स्वाधीनता मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा.मेरे चाचा दादा भाई नौरोजी ने अंग्रेजों की देश को लूटने की नीति को समझा और देशवासियों को भी समझाया.अंग्रेज मेरे बढती ताकत से डरने लगे और उन्होंने सांप्रदायिक कार्ड खेलना शुरू कर दिया.उनके ही इशारों पर १९०६ में ढाका में मुस्लिम लीग की स्थापना की गई.उन्होंने बंगाल को भी सांप्रदायिक आधार पर १९०५ में बाँटना चाहा.मैंने पूरी ताकत से इस विभाजन का विरोध किया और उन्हें झुका भी दिया.लेकिन इसी बीच १९०७ में अंग्रेजों के बहकावे में आकर उदारवादियों ने कांग्रेस से अपने उग्रपंथी भाईयों को बाहर निकाल दिया.१९१५ तक मैं दो भागों में बँटी रही और कुछ खास नहीं कर सकी.१९१५ में मेरा सबसे महान बेटा मेरे परिवार में शामिल हुआ.उसका नाम था मोहन दास करमचंद गांधी.सत्य और अहिंसा उसके अस्त्र-शस्त्र थे.उसने मुझे शक्तिशाली बनाया लेकिन १९१६ में उसने लखनऊ में मुश्लिम लीग से समझौता कर उसे मान्यता भी प्रदान कर दी.१९२० में असहयोग आन्दोलन मेरे ही झंडे तले प्रारंभ किया गया.लेकिन इसके हिंसक हो जाने और मुस्लिम लीग द्वारा मुझे धोखा देने के कारण आन्दोलन वापस लेना पड़ा.१९२३ में मेरे परिवार के कुछ लोगों ने गांधी की सहमति से स्वराज पार्टी की स्थापना की और चुनावों में भाग लिया.उद्देश्य था केंद्रीय विधान सभा और प्रांतीय विधान परिषदों में घुसकर सरकार के कुत्सित इरादों को बेनकाब करना.बाद में इनमें से कई सत्ता सुख के लिए सरकार के सहयोगी बन गए.गांधी को मर्मान्तक पीड़ा हुई और उसने सविनय अवज्ञा आन्दोलन की घोषणा कर दी.हालांकि उसने इससे पहले अंग्रेजों से बातचीत का भी प्रयास किया.अंग्रेज आन्दोलन को मिल रहे व्यापक जनसमर्थन से डर गए और १६ अगस्त,१९३२ को सांप्रदायिक एवार्ड की घोषणा कर दी.उनका इरादा दलितों को बांकी हिन्दुओं से अलग करने का था.इससे पहले वे १९०९ में मुसलमानों को पृथक निर्वाचक मंडल के द्वारा हिन्दुओं से अलग करने का प्रयास कर चुके थे और इसमें उन्हें काफी सफलता भी मिली थी.गांधी उनकी चाल को समझ गया और अनशन पर बैठ गया.२५ सितम्बर,१९३२ को दलित नेता अम्बेदकर मान गए और पूना समझौता के द्वारा अंग्रेजों के इस कुत्सित प्रयास को निरस्त कर दिया गया.लेकिन अब गांधी की मेरे संगठन पर पकड़ कमजोर पड़ गई थी

.निराश होकर उसने १९३४ में मेरी सदस्यता का परित्याग कर दिया.मेरे ऊपर अब नेहरु,प्रसाद और पटेल की तिकड़ी का शासन था.गांधी अब सामाजिक कार्यों में सक्रिय हो गया.इसी बीच १९३७ के चुनावों में मुझे अपार सफलता हाथ लगी लेकिन नेहरु ने चुनाव हार चुकी लीग को शासन में भागीदारी नहीं देकर बहुत बड़ी गलती कर दी.जोश में गलती हो ही जाया करती है.लीग के नेता जिन्ना ने मेरे खिलाफ मुसलमानों को यह कहकर भड़काना शुरू कर दिया कि आजाद भारत में भी हिन्दू राज स्थापित हो जाएगा.२४ मार्च,१९४० को लाहौर में लीग ने पहली बार पाकिस्तान नाम के अलग देश की मांग की.उधर यूरोप में द्वितीय विश्व युद्ध छिड़ चुका था.गांधी ने मेरे सामने भारत छोडो आन्दोलन छेड़ने का प्रस्ताव रखा.जब मेरे युवा पुत्रों ने आनाकानी की तो गांधी ने धमकी देते हुए कहा कि मैं साबरमती तट के बालू से कांग्रेस से भी बड़ा संगठन खड़ा कर दूंगा.गांधी कांग्रेस सरकारों में पनप रहे भ्रष्टाचार से भी क्षुब्ध थे.मेरी सभी सरकारों ने आन्दोलन की घोषणा के साथ ही इस्तीफा दे दिया.कुछ भागों को छोड़कर कुछ दिनों के लिए पूरे देश में अंग्रेजी शासन समाप्त हो गया.लेकिन अंग्रेज सोने का अंडा देनेवाली मुर्गी को आसानी से आज़ाद कैसे कर देते?पूरे देश में आन्दोलन को बन्दूक के बल पर दबा दिया गया.पूरा भारत एक जेलखाने में बदल गया.परिणामस्वरूप आन्दोलन कमजोर पड़ गया.अब लीग मुसलमानों के लिए अलग राष्ट्र से कम पर मानने को तैयार नहीं था.उसने १६ अगस्त,१९४६ को हिन्दुओं पर हमला शुरू कर दिया.पूरे देश में भीषण दंगे भड़क उठे.लाखों लोग मारे गए और गांधी को भी भरे मन से विभाजन के लिए तैयार होना पड़ा.मैं इसके लिए सिर्फ लीग को ही दोषी नहीं मानती १९१६ में गांधी और १९३७ में नेहरु द्वारा की गई गलतियाँ भी कम गंभीर नहीं थीं.१५ अगस्त को देश की आजादी का दिन निर्धारित हो गया.तब तक गांधी मेरे संगठन में उभर रही गलत प्रवृत्तियों से सशंकित हो चुके थे और इसलिए कि कोई जनता में मेरे प्रति बनी हुई सदाशयता बेजा लाभ नहीं उठाया जा सके उसने मेरी समाप्ति का प्रस्ताव रखा.लेकिन नेहरु,प्रसाद और पटेल चुनावों में मेरी स्वर्णिम योगदान से लाभ उठाना चाहते थे सो उन्होंने उनके आग्रह तो निष्ठुरता से ठुकरा दिया.

चुनावों के बाद भी मेरी बागडोर नेहरु के हाथों में थी.उसने कश्मीर और तिब्बत में कई गलतियाँ की.उसने व्यापक पैमाने पर निर्माण कार्य कराया.ठेकेदारों के वारे-न्यारे हो गए.पूरे देश में भ्रष्टाचार पनपने लगा लेकिन अभी वह डरा-सहमा था.नेहरु एक स्वप्न-द्रष्टा था और सपने को सच मान लेने के कारण कश्मीर में एक के बाद एक कई गलतियाँ करता गया,१९६२ में उसे चीन के आगे मुंह की खानी पड़ी.१९६४ में उसके देहावसान के बाद नाटे कद का लाल बहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री बना.गजब का जीवट था उसमें.सीमित साधनों से उसने १९६५ में पाकिस्तान को धूल चटा दी.तब मेरे संगठन में भ्रष्टाचार का घुन लगना शुरू तो हो गया था लेकिन स्थिति नियंत्रण में थी.१९५९ में जब जवाहरलाल नेहरु की बेटी इंदिरा गांधी जो घोर महत्वकांक्षी महिला थी मेरी अध्यक्ष बनी तब मैं इस आशंका से सिहर उठी कि मेरे ऊपर एक ही परिवार का वर्चस्व कायम हो जानेवाला तो नहीं है.लेकिन एक साल बाद ही आलोचनाओं से घबराकर नेहरु ने नीलम संजीव रेड्डी को मेरा अध्यक्ष बनवा दिया.१९६६ में मेरे ईमानदार पुत्र लाल बहादुर शास्त्री का ताशकंद में निधन हो गया.उसकी मृत्यु स्वाभाविक थी या हत्या आज तक रहस्यों के घेरे में है और शायद आगे भी रहेगी.इंदिरा को कांग्रेसी बेबी डौल समझ रहे थे और उन्हें लग रहा था कि इसके द्वारा उनका हित आसानी से सध सकेगा.इसलिए तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष कामराज समेत बहुमत ने इंदिरा का साथ दिया और इंदिरा मोरारजी भाई को पछाड़कर प्रधानमंत्री बन बैठी.अगले कुछ सालों में ही उसने तमाम तिकड़मों का इस्तेमाल कर पार्टी संगठन पर भी पकड़ मजबूत कर ली.उसकी तानाशाही प्रवृत्ति से नाराज होकर मेरे परिवार के कई लोग मुझसे अलग हो गए और मेरा विभाजन हो गया.इसी बीच उसने गरीबी हटाने के वादे के साथ १९७१ का चुनाव लड़ा जीत भी हासिल की.आज तलक कितनी सरकारें बदल गईं लेकिन यह नारा और वादा बना हुआ है.

१९७१ में पाकिस्तान पर जीत के बाद वह पूरी तरह से निरंकुश हो गई.इस चुनाव में भारी पैमाने पर धांधली की गई थी और स्वयं इंदिरा गांधी के निर्वाचन पर भी इलाहाबाद उच्च न्यायालय में मुकदमा चल रहा था.१२ जून,१९७५ को न्यायालय ने इंदिरा के खिलाफ निर्णय दिया जिससे वह घबरा गई और २६ जून,१९७५ को देश में आतंरिक आपातकाल लगा दिया गया.सारे मौलिक अधिकार निरस्त कर दिए गए और मानवाधिकारों की जमकर धज्जियाँ उडाई गई.ऐसे समय में मेरा ही एक वृद्ध बेटा बीमार रहने के बावजूद सामने आया देश के नवजात लोकतंत्र को बचाने के लिए जान की बाजी लगा दी.पूरे देश में आपातकाल का व्यापक विरोध हुआ.१९७७ में जब चुनाव हुए तो मुझे इंदिरा की गलतियों का खामियाजा भुगतना पड़ा और मैं पहली बार सत्ता से बाहर हो गई.अब मैं आजादी के पहले वाली कांग्रेस नहीं रह गई थी.मेरे नाम पर अनगिनत पाप किए जा रहे थे,देश को बेचा जा रहा था.१९८० में विपक्षी सरकार की गलतियों की वजह से मेरी सत्ता में वापसी हुई.लेकिन इंदिरा के रंग-ढंग में कोई खास बदलाव नहीं आया.१९८४ में अतीत में की गई गलतियों और पंजाब में भिन्दरवाले को दिए गए समर्थन के कारण इंदिरा की हत्या कर दी गई.लेकिन अब मेरे ऊपर उसके परिवार का वर्चस्व इतना ज्यादा बढ़ चुका था कि वह मेरा पर्याय बन गया था.यानी कांग्रेस मतलब गांधी-नेहरु परिवार.१९७५ में मेरे अध्यक्ष देवकांत बरुआ ने कहा भी था कि इंडिया इज इंदिरा एंड इंदिरा इज इंडिया.३१ अक्तूबर,१९८४ को इंदिरा का बेटा प्रधानमंत्री बना और बाद में माँ की जगह अध्यक्ष भी.हत्या के समय इंदिरा मेरी अध्यक्ष भी थी.राजीव एक भोला-भाला इन्सान था.भारतीय राजनीति की उसे समझ ही नहीं थी.वह अपने चापलूसों के कहने पर चलने लगा और श्रीलंका में अपने ही देश से गए तमिल विद्रोहियों के खिलाफ सेना भेजने की गलती कर दी.उस पर भ्रष्टाचार सम्बन्धी भी कई आरोप लगे और १९८९ के चुनाव में मैं एक बार फ़िर सत्ता से बाहर हो गई.२ सालों तक मेरे विरोधियों ने किसी तरह शासन चलाया.१९९१ के मध्यावधि चुनाव के समय मेरी सत्ता में वापसी निश्चित लग रही थी.मैं बहुत खुश थी क्योंकि राजीव अब परिपक्व नेता की तरह व्यवहार कर रहे थे.लेकिन २१ मई,१९९१ को तमिल विद्रोहियों ने उसकी हत्या कर दी.पी.वी.नरसिंह राव मेरी जीत के बाद प्रधानमंत्री बना.वह एक अनुभवी और विद्वान नेता था लेकिन भ्रष्ट भी था.उसका ज्यादातर समय न्यायालय में भ्रष्टाचार के आरोपों का जवाब देने में गुजरता था.उसकी काली करतूतों के कारण मुझे एक बार फ़िर १९९६ में हार का सामना करना पड़ा और फ़िर से विपक्षी गठबंधन सत्ता में आ गया जिसे बाहर से मेरा ही समर्थन प्राप्त था.१९९८ में हुए मध्यावधि चुनाव करवाना पड़ा जिसमें फ़िर से मेरी हार हुई.अब भारतीय इतिहास में तीसरी बार बिना मेरे समर्थन के सरकार बनी.चुनाव के तत्काल बाद राजीव गांधी की विधवा सोनिया गांधी को मेरे तत्कालीन अध्यक्ष सीताराम केसरी को अपमानित तरीके से हटाते हुए अध्यक्ष बना दिया गया.मेरे वरिष्ठ पुत्रों का मानना था कि बिना इंदिरा परिवार के नेतृत्व के मैं सत्ता में नहीं आ सकती.कितनी गलत सोंच थी!सत्ता काम के आधार पर भी मिल सकती है,नाम कोई जरुरी नहीं होता.विपक्षी एन.डी.ए. गठबंधन ने इस दौरान (१९९८-२००४) देश को शानदार नेतृत्व और शासन दिया.लेकिन उसके शासन में आम आदमी अपने को उपेक्षित महसूस करने लगा था.किसानों द्वारा आत्महत्या की ख़बरें सामने आने लगी थीं.सोनिया ने मौके को भुनाया और आम आदमी से आम आदमी की सरकार बनाने का आह्वान किया.२००४ में मेरी फ़िर से सत्ता में वापसी हुई.लेकिन इस बार सोनिया का उद्देश्य सिर्फ सत्ता में बने रहना था,देश हित से उसका कुछ भी लेना-देना नहीं था.देश में महंगाई बढ़ने लगी,भ्रष्टाचार चरम सीमा तक पहुँचने लगा.आज ६ सालों में मैं सत्ता में हूँ.मनमोहन सिंह नाम मात्र के प्रधानमंत्री बने हुए हैं.वास्तविक सत्ता सोनिया के हाथों में है.किसान अब भी आत्महत्या कर रहे हैं.गोदामों में अनाज सड़ रहे हैं और देश में अन्न-उत्पादन गिर रहा है.चपरासी से लेकर सचिव तक और वार्ड आयुक्त से लेकर मंत्री तक भ्रष्ट है और डंके की चोट पर भ्रष्ट है.मेरी सरकार के २००९ में दोबारा सत्ता सँभालने के बाद हर महीने कोई-न-कोई घोटाला सामने आ रहा है.हद तो यह है कि कोई मंत्री इस्तीफा भी नहीं दे रहा.

उच्चतम न्यायालय को टिपण्णी करनी पड़ रही है कि ऐसे मंत्री को हटाया क्यों नहीं जा रहा?साथ ही उसने यह भी कहा है कि जब सरकार भ्रष्टाचार को रोकने का प्रयास नहीं कर रही तो इसे वैधानिक मान्यता क्यों नहीं दे देती?देश के एक तिहाई हिस्से पर लोकतंत्र विरोधी नक्सलियों ने कब्ज़ा कर लिया है.मेरे पुत्र नेहरु और राजीव द्वारा की गई गलतियाँ कश्मीर में नासूर बन गई हैं.अब फ़िर से इतिहास से सबक नहीं लेते हुए कश्मीर मे मेरी सरकार गलतियाँ करने पर आमादा है.मेरे भीतर अब आतंरिक लोकतंत्र भी नहीं रहा.सोनिया ही सारे फैसले ले रही है.२०२० तक देश को विकसित भारत बनाने का वाजपेयी का सपना पृष्ठभूमि में जा चुका है.अब तो मेरे घर के लोग २० सालों तक मेरे नाम पर सिर्फ सत्ता में बने रहने के प्रयास में लगे हैं.चीन से मेरे प्यारे देश को प्रतियोगिता का तो सामना करना पड़ ही रहा है,खतरा भी उत्पन्न हो गया है.कोई स्वतंत्र नीति अपनाने के बदले मेरी सरकार अमेरिका की गोद में जा बैठी है और भारत अमेरिका का ५१वां राज्य बनकर रह गया है.देश में बढ़ रहे भ्रष्टाचार की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी पुष्टि की जाने लगी है.मेरी अध्यक्ष पर भी वर्धा रैली के समय मुख्यमंत्री से पैसा लेने के आरोप लगे हैं.

पार्टी फंड लबालब भरा हुआ है और पदाधिकारियों को महँगी गाड़ियाँ बांटी जा रही है.बिहार के चुनाव में जनता के बीच भी मेरे परिवार द्वारा पैसे बांटने के मामले सामने आ रहे हैं.
देश रसातल की ओर जा रहा है और वह भी मेरे नेतृत्व में.मैं शर्मिंदा हूँ लेकिन मेरी कोई नहीं सुन रहा.

काश आजादी के तत्काल बाद गांधी की सलाह पर अमल करते हुए मुझे मृत्यु-दान दे दिया गया
Read More »

क्या कोई धर्मनिरपेक्ष इन प्रश्नों के उत्तर दे सकता है ?


क्या आप सेकुलर है? मतलब धर्मनिरपेक्ष या मानवतावादी.. आदि जैसी विचारधारा के है तो आईये जरा मेरे इन प्रश्नों के उत्तर दीजिये -

] विश्व में 52 मुस्लिम देश है, एक भी ऐसे मुस्लिम देश का नाम बताये जहा हज यात्रा पर सब्सिडी दी जाती है!

] एक भी मुस्लिम राष्ट्र ऐसा बताये जहा हिन्दुओ को विशेष अधिकार दिए जाते है, जैसे की भारत में मुस्लिमो को !

] केवल एक देश ऐसा बताये जहा 85 % बहुसंख्य 15 % अल्पसंख्यकों के भोग के लिए शोषित जाते है !

] एक मुस्लिम राष्ट्र ऐसा बताये जहा गैर-मुस्लिम राष्ट्राध्यक्ष बना हो !

] एक ऐसा मुल्ला या मुलावी बताये जिसने आतंकवाद के विरुद्ध फतवा निकाला हो!

] महाराष्ट्र,बिहार,केरल, पांडिचेरी (जहा हिन्दू बहुसंख्य है) जैसे राज्यों ने मुस्लिम मुख्यमंत्रियों को भी चुना है. क्या आप जम्मू-कश्मीर (जहा मुस्लिम बहुसंख्य है) में हिन्दू मुख्यमंत्री की कल्पना कर सकते है???

] भारत - पकिस्तान के बटवारे के समय पकिस्तान में 24% हिन्दू थे जो की आज 1.5 % भी नहीं रहे! क्या कोई बता सकता है की गायब हुए हिन्दुओ के साथ क्या हुआ? क्या हिन्दुओ के लिए भी कोई मानवाधिकार है ?

] इसके बिलकुल विपरीत भारत में मुस्लिमो की संख्या 1951 में 10 % से बढ़कर 15 % हो गयी है ! और हिन्दू 87.5% से 85% पर है! क्या फिर भी आप हिन्दुओ को कट्टरपंथी कहेगे???

] जब हिन्दुओ ने मुसलमानों को अपने जमीन का 30% हिस्सा गुनगुनाते हुए दे दिया....तब उन्हें अपने ही भूमि पर अयोध्या और मथुरा जैसे पवित्र स्थलों के लिए क्यों भीख मांगनी पड रही है?????

१०] गाँधी ने सरकारी खर्च से सोमनाथ मंदिर बनवाने के लिए विरोध किया था. तो फिर जनवरी 1948 में दिल्ली की मस्जिद का जीर्णोद्धार करवाने के लिए उन्होंने क्योँ सरदार पटेल पर दबाव डाला??????

११] गांधी ने " खिलाफत आन्दोलन "(जिसे देश की आजादी से कोई लेना देना नहीं था) को समर्थन दिया था, इसके बदले में उन्होंने क्या पाया ?????????

१२] जब महाराष्ट्र, बिहार में मुस्लिम और ईसाई अल्पसंख्यक है, तो फिर जम्मू-कश्मीर, नागालैंड, मिझोरम में हिन्दू अल्पसंख्यक नहीं?????? हिन्दुओ को क्योँ अल्पसंख्यक अधिकारों से वंचित रखा जाता है ??????????

१३] जब हज यात्रा के लिए सब्सिडी दी जाती है, तो अमरनाथ यात्रा, कैलाश मानसरोवर यात्रा पर टैक्स क्यों लगाया जाता है????????????

१४] जब ईसाई और मुस्लिम विद्यालयों में कुरआन और बाइबल पढाई जा सकती है, तो हिन्दू विद्यालयों में भागवद गीता क्योँ नहीं ?

१५] हिन्दुओ की समस्याए सामने आने के बजाय ,क्या आपको नहीं लगता की किसी का हिन्दू होना ही एक समस्या है?

१६] गोधरा के बाद छिड़े दंगो को एक हद से ज्यादा उठाया गया, बल्कि जहा 4 लाख हिन्दुओ का कश्मीर से पूर्ण रूप से पतन हुआ उसके बारे में कोई बात करने को भी तैयार नहीं.

१७ ] मंदिरो के पैसो को मुस्लमान और ईसाइयों के उत्सवो में उडाया जाता है, यद्यपि मस्जीद और चर्च अपना पैसा अपने ढंग से खर्च करने के लिए पूर्ण रूप से स्वतंत्र है!!

१८] अब्दूल रहमान अंतुले को मुंबई के सिध्धिविनायक मंदिर का ट्रस्टी बनाया गया, क्या कोई हिन्दू (जैसे की मुलायम सिंह यादव) किसी मदरसा या मस्जीद का ट्रस्टी बनकर दिखा सकता है?

१९] अगर हिन्दुओ को असहिष्णु कहा जाता है तो बताईये की कैसे मस्जीद और मदरसे दिनों दिन बढ़ते जा रहे है? कैसे मुसलमानों को सड़क पर नमाज पढने दिया जाता है? कैसे मुसलमानों को दिन में 5 बार लाउड स्पीकर पर ये कहने दिया जाता है की "अल्लाह के सिवाह दूसरा कोई भगवान् ही नहीं??
Read More »

जानिए जापान के बारे में..

क्या आप जानते है?
* क्या आपने कभी यह समाचार पढ़ा है कि मुस्लिम राष्ट्र का कोई प्रधानमंत्री या कोई बड़ा नेता कभी जापान या टोकियो कि यात्रा पर गया हो?
* क्या आपने कभी किसी अख़बार में यह भी पढ़ा है कि ईरान या सउदी अरब के राजा ने जापान कि यात्रा कि हो? कारण
* दुनिया में जापान ही एकमात्र ऐसा देश है जो मुसलमानों को जापानी नागरिकता नहीं देता |
* जापान में अब किसी भी मुस्लमान को स्थायी रूप से रहने कि इजाजत नहीं दी जाती है |
* जापान में इस्लाम के प्रचार-प्रसार पर कड़ा प्रतिबन्ध है |
* जापान के विश्वविधालयों में अरबी या अन्य इस्लामी राष्ट्रों कि भाषाए नहीं पढाई जाती|
* जापान में अरबी भाषा में प्रकाशित कुरान आयत नहीं कि जा सकती| इस्लाम से दुरी
* सरकारी आकड़ों के अनुसार, जापान में केवल दो लाख मुसलमान है. और ये भी वही है जिन्हें जापान सरकार ने नागरिकता प्रदान कि है |
* सभी मुस्लिम नागरिक जापानी भाषा बोलते है और जापानी भाषा में ही अपने सभी मजहबी व्यवहार करते है |
* जापान विश्व का ऐसा देश है जहाँ मुस्लिम देशों के दूतावास न के बराबर है |
* जापानी इस्लाम के प्रति कोई रूचि नहीं रखते. आज वहा जितने भी मुसलमान है वे विदेशी कंपनियों के कर्मचारी ही है | परन्तु आज कोई बाहरी कंपनी अपनें यहाँ के मुस्लिम डाक्टर, इंजीनियर या प्रबंधक आदि को जापान में भेजती है तो जापान सरकार उन्हें जापान में प्रवेश कि अनुमति नहीं देती है |
* अधिकतर जापानी कंपनियों ने अपने नियमों में यह स्पष्ट लिख दिया है कि कोई मुसलमान उनके यहाँ नौकरी के लिए आवेदन न करे |
* जापान सरकार यह मानती है कि मुसलमान कट्टरवाद के पर्याय है, इसलिए आज के वैश्विक दौर में भी वे अपने पुराने नियम बदलना नहीं चाहती |
* जापान में किराये पर किसी मुस्लिम को घर मिलेगा, इसकी तो कल्पना भी नहीं कि जा सकती. यदि किसी जापानी को उसके पडौस के मकान में मुस्लिम के किराये पर रहने कि खबर मिल जाये तो सारा मौहल्ला सतर्क हो जाता है|
* जापान में कोई इस्लामी या अरबी मदरसा नहीं खोल सकता | मतान्तरण पर रोक
* जापान में मतान्तरण पर सख्त पाबन्दी है |
* किसी जापानी ने अपना पंथ किसी कारणवश बदल लिया है तो उसे व उसके साथ मतान्तरण कराने वाले कि सख्त सजा दी जाती है. यदि किसी विदेशी ने यह हरकत कि है तो उसे सरकार कुछ ही घंटों में जापान छोड़ कर चले जाने का सख्त  आदेश देती है|
* यहाँ तक कि जिन ईसाई मिशनरियों का हर जगह असर है, वे जापान में दिखाई नहीं देतीं |
* वेटिकन पोप को दो बातों का बड़ा अफसोस होता है कि - एक तो यह कि वे २० वी शताब्दी समाप्त होने के बावजूद भारत को यूनान कि तरह ईसाई देश नहीं बना सके. दूसरा यह कि जापान में ईसाईयों कि संख्या में वृद्धी नहीं हो सकी |
* जापानी चंद सिक्कों के लालच में अपने पंथ का सौदा नहीं करते. बड़ी से बड़ी सुविधा का लालच दिया जाये तब भी वे अपने पंथ के साथ धोखा नहीं करते.
*जापान में 'पर्सनल ला' जैसा कोई शगूफा नहीं है.
* यदि कोई जापानी महिला किसी मुस्लिम से विवाह कर लेती है तो उसका सामाजिक बहिस्कार कर दिया जाता है|
* जापानियों को इसकी तनिक भी चिंता नहीं है कि कोई उनके बारे में क्या सोचता है|
* टोकियो विश्वविधालय के विदेशी अध्धयन विभाग के अध्यक्ष कोमिको यागी के अनुसार, इस्लाम के प्रति जापान में हमेशा यही मान्यता रही है कि वह एक संकीर्ण सोच का मजहब है. उसमें समन्वय कि गुंजाईश नहीं है |
* स्वतन्त्र पत्रकार मोहम्मद जुबेर ने ९/११ कि घटना के बाद अनेक देशों कि यात्रा कि थी. वह जापान भी गए, लेकिन वहां जाकर उन्होंने देखा कि जापानियों को इस बात पर पूरा भरोसा है कि कोई आतंकवादी जापान में पर भी नहीं मर सकता | सन्दर्भ
* जापान सम्बन्धी इस चौका देने वाली जानकारी के स्रोत है शरणार्थी मामले देखने वाली संस्था 'सलिडेरीटी नेटवर्क' के महासचिव जरनल मनामी यातु |  
* मुजफ्फर हुसैन द्वारा लिखित लेख के कुछ मुख्य बिंदु जो कि पांचजन्य, के ३० मई, २०१० के अंक से लिए गए ह
Read More »

यह पढ़ाया जा रहा है आपके बच्चों को...



 यह पढ़ाया जा रहा है आपके बच्चों को.....!!!!

1. वैदिक काल में विशिष्ट अतिथियों के लिए गोमांस का परोसा जाना सम्मान सूचक माना जाता था। (कक्षा 6-प्राचीन भारत, पृष्ठ 35, लेखिका-रोमिला थापर)

2.महमूद गजनवी ने मूर्तियों को तोड़ा और इससे वह धार्मिक नेता बन गया।
(कक्षा 7-मध्यकालीन भारत, पृष्ठ 28)

3.1857 का स्वतंत्रता संग्राम एक सैनिक विद्रोह था।
(कक्षा 8-सामाजिक विज्ञान भाग-1,

4.महावीर 12 वर्षों तक जहां-तहां भटकते रहे। 12 वर्ष की लम्बी यात्रा के दौरान उन्होंने एक बार भी अपने वस्त्र नहीं बदले। 42 वर्ष की आयु में उन्होंने वस्त्र का एकदम त्याग कर दिया।
(कक्षा 11, प्राचीन भारत, पृष्ठ 101, लेखक-रामशरण शर्मा)

5.तीर्थंकर, जो अधिकतर मध्य गंगा के मैदान में उत्पन्न हुए और जिन्होंने बिहार में निर्वाण प्राप्त किया, की मिथक कथा जैन सम्प्रदाय की प्राचीनता सिद्ध करने के लिए गढ़ ली गई।
(कक्षा 11-प्राचीन भारत, पृष्ठ 101, लेखक-रामशरण शर्मा)

6.जाटों ने, गरीब हो या धनी, जागीरदार हो या किसान, हिन्दू हो या मुसलमान, सबको लूटा। (कक्षा 12 - आधुनिक भारत, पृष्ठ 18-19, विपिन चन्द्र)

7.रणजीत सिंह अपने सिंहासन से उतरकर मुसलमान फकीरों के पैरों की धूल अपनी लम्बी सफेद दाढ़ी से झाड़ता था। (कक्षा 12 -पृष्ठ 20, विपिन चन्द्र)

8.आर्य समाज ने हिन्दुओं, मुसलमानों, पारसियों, सिखों और ईसाइयों के बीच पनप रही राष्ट्रीय एकता को भंग करने का प्रयास किया। (कक्षा 12-आधुनिक भारत, पृष्ठ 183, लेखक-विपिन चन्द्र)

9.तिलक, अरविन्द घोष, विपिनचन्द्र पाल और लाला लाजपतराय जैसे नेता
उग्रवादी तथा आतंकवादी थे
(कक्षा 12-आधुनिक भारत-विपिन चन्द्र, पृष्ठ 208)

10.400 वर्ष ईसा पूर्व अयोध्या का कोई अस्तित्व नहीं था।
महाभारत और रामायण कल्पित महाकाव्य हैं।
(कक्षा 11, पृष्ठ 107, मध्यकालीन इतिहास, आर.एस. शर्मा)

11.वीर पृथ्वीराज चौहान मैदान छोड़कर भाग गया और गद्दार जयचन्द गोरी के खिलाफ
युद्धभूमि में लड़ते हुए मारा गया।
(कक्षा 11, मध्यकालीन भारत, प्रो. सतीश चन्द्र)

12.औरंगजेब जिन्दा पीर थे।
(मध्यकालीन भारत, पृष्ठ 316, लेखक-प्रो. सतीश चन्द्र)

13.राम और कृष्ण का कोई अस्तित्व ही नहीं था। वे केवल काल्पनिक कहानियां हैं।
(मध्यकालीन भारत, पृष्ठ 245, रोमिला थापर)

(ऐसी और भी बहुत सी आपत्तिजनक बाते आपको एन.सी.आर.टी. की किताबों में पढ़ने को मिल जायेंगी) इन किताबों में जो छापा जा रहा हैं उनमें रोमिला थापर जैसी लेखको ने मुसलमानों द्वारा धर्म के नाम पर काफ़िर हिन्दुओं के ऊपर किये गये भयानक अत्याचारों को गायब कर दिया है. नकली धर्मनिरपेक्षतावादी नेताओं की शह पर झूठा इतिहास लिखकर एक समुदाय की हिंसक मानसिकता पर जानबूझकर पर्दा ड़ाला जा रहा है. इन भयानक अत्याचारों को सदियों से चली आ रही गंगा जमुनी संस्कृति, अनेकता में एकता और धार्मिक सहिष्णुता बताकर नौजवान पीढ़ी को धोखा दिया जा रहा है. उन्हें अंधकार में रखा जा रहा है. भविष्य में इसका परिणाम बहुत खतरनाक होगा क्योकि नयी पीढ़ी ऐसे मुसलमानों की मानसिकता न जानने के कारण उनसे असावधान रहेगी और खतरे में पड़ जायेगी. सोचने का विषय है कि आखिर किसके दबाव में सत्य को छिपाया अथवा तोड़ मरोड़ कर पेश किया जा रहा है...??
Read More »