रुद्राक्ष की शक्तियों को पहचाने..
एक से चौदह मुखी तक रुद्राक्ष लोगों में लोकप्रिय है किस धारणा से कोन सा रुद्राक्ष व्यक्ति को धारण करना चाहिए और रुद्राक्षधारी को किन भोज्य पदार्थों से परहेज करना चाहिए. इसका ज्ञान होना परम आवश्यक है.
रुद्राक्ष धारण करने के लिए शुभ समय ग्रहण,मेष संक्रांति, अयन, अमावस, पूर्णिमा और अन्य शुभ दिन शास्त्रों में लिखित है.रुद्राक्ष की माला में दानों की संख्या १०८ दानों की माला बल और आरोग्यता प्रदान करती है.१०८ दानों की माला समस्त कार्यों में सिद्धि देने वाली होती है. ३२ दानों की माला धन दायिनी होती है.
जप के लिए प्रयोग लाए जानी वाली माला १०८ दानों की होती है.
५४ दानों की माला आधी और २७ दानों की माला को सुमरनी कहते है.फल सभी का एक
जैसा होता है.५४ दानों की माला दो बार और २७ दानों की माला चार बार पूरी कर
लेने पर एक माला सम्पूर्ण होती है.तीन सौ आठ रुद्राक्षों की लड़ी बना कर
यज्ञोपवीत धारण किया जाता है. शिखा में एक,कानों में छह-छह, कंठ में एक सौ
या पचास,बांहों में ग्यारह, मणिबंध में ग्यारह, कमर में पांच रुद्राक्ष
धारण करने का विधान है. हाईब्लडप्रेशर (उच्च रक्तचाप) के मरीजों के लिए
रुद्राक्ष धारण करना वरदान के समान होता है.रुद्राक्ष रक्तचाप को नियंत्रित
रखता है.इसके लिए जरूरी है कि रुद्राक्ष की माला रोगी के हृदय को छूती हुई
होनी चाहिए.यह रोगी के शरीर की गर्मी को स्वयं में खींच कर उसे बाहर
फेंकता है.
एक मुखी रुद्राक्ष :- एक मुखी रुद्राक्ष परातत्व का प्रकाशक है.परम तत्व की प्राप्ति की धारणा से इसको धारण करना चाहिए.सहज ही ईश्वर प्राप्ति की शक्ति इस रुद्राक्ष में पायी जाति है.
दो मुखी रुद्राक्ष :- दो मुखी रुद्राक्ष अर्धनारीश्वर होता है.इसे धारण करने वाले पर अर्धनारीश्वर भगवान शिव प्रसन्न रहते है.इस रुद्राक्ष में भगवान शिव-पार्वती दोनों की शक्ति रहती है.
तीन मुखी रुद्राक्ष :- तीन मुखी रुद्राक्ष तीन अग्नियों के रूप वाला है.इसको धारण करने से अग्नि की तृप्ति होती है स्त्री हत्या के पाप से मुक्ति दिलाने की शक्ति तीन मुखी रुद्राक्ष में होती है.
चार मुखी रुद्राक्ष :- चार मुखी रुद्राक्ष ब्रह्मा की शक्ति से ओतप्रोत होता है.इसको धारण करने वाला उत्तम स्वास्थ्य को प्राप्त करता है. उसे कभी कोई रोग नही होता है.इसे महा ज्ञान,बुद्धि और धन के लिए भी धारण किया जाता है.
पांच मुखी रुद्राक्ष :- पांच मुखी रुद्राक्ष पंचब्रह्म स्वरूप होता है. इसको धारण करने से भगवान शिव तथा हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है. तथा मन एकाग्र होने लगता है.
छह मुखी रुद्राक्ष :- छह मुखी रुद्राक्ष के देवता कार्तिकेय जी है. विद्वानों ने गणेश जी को भी छह मुखी रुद्राक्ष का देवता माना है.इसे धारण करने से दोनों देवता प्रसन्न होते है तथा विद्या में लाभ होता है.छह मुखी रुद्राक्ष को बांये हाथ में धारण करने से अज्ञात पापों का नाश होता है.
सात मुखी रुद्राक्ष :- सात मुखी रुद्राक्ष की देवियाँ सात माताये है.सूर्य औए सप्तऋषि इसके देवता है. इसको धारण करने वाले पर श्री महालक्ष्मी प्रसन्न रहती है.इसको धारण करने से परम ज्ञान और धन की भी प्राप्ति होती है. सोने की चोरी आदि के पाप से मुक्ति दिलाने की शक्ति सात मुखी रुद्राक्ष में होती है.
एक मुखी रुद्राक्ष :- एक मुखी रुद्राक्ष परातत्व का प्रकाशक है.परम तत्व की प्राप्ति की धारणा से इसको धारण करना चाहिए.सहज ही ईश्वर प्राप्ति की शक्ति इस रुद्राक्ष में पायी जाति है.
दो मुखी रुद्राक्ष :- दो मुखी रुद्राक्ष अर्धनारीश्वर होता है.इसे धारण करने वाले पर अर्धनारीश्वर भगवान शिव प्रसन्न रहते है.इस रुद्राक्ष में भगवान शिव-पार्वती दोनों की शक्ति रहती है.
तीन मुखी रुद्राक्ष :- तीन मुखी रुद्राक्ष तीन अग्नियों के रूप वाला है.इसको धारण करने से अग्नि की तृप्ति होती है स्त्री हत्या के पाप से मुक्ति दिलाने की शक्ति तीन मुखी रुद्राक्ष में होती है.
चार मुखी रुद्राक्ष :- चार मुखी रुद्राक्ष ब्रह्मा की शक्ति से ओतप्रोत होता है.इसको धारण करने वाला उत्तम स्वास्थ्य को प्राप्त करता है. उसे कभी कोई रोग नही होता है.इसे महा ज्ञान,बुद्धि और धन के लिए भी धारण किया जाता है.
पांच मुखी रुद्राक्ष :- पांच मुखी रुद्राक्ष पंचब्रह्म स्वरूप होता है. इसको धारण करने से भगवान शिव तथा हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है. तथा मन एकाग्र होने लगता है.
छह मुखी रुद्राक्ष :- छह मुखी रुद्राक्ष के देवता कार्तिकेय जी है. विद्वानों ने गणेश जी को भी छह मुखी रुद्राक्ष का देवता माना है.इसे धारण करने से दोनों देवता प्रसन्न होते है तथा विद्या में लाभ होता है.छह मुखी रुद्राक्ष को बांये हाथ में धारण करने से अज्ञात पापों का नाश होता है.
सात मुखी रुद्राक्ष :- सात मुखी रुद्राक्ष की देवियाँ सात माताये है.सूर्य औए सप्तऋषि इसके देवता है. इसको धारण करने वाले पर श्री महालक्ष्मी प्रसन्न रहती है.इसको धारण करने से परम ज्ञान और धन की भी प्राप्ति होती है. सोने की चोरी आदि के पाप से मुक्ति दिलाने की शक्ति सात मुखी रुद्राक्ष में होती है.
आठ मुखी रुराक्ष :- आठ मुखी रुद्राक्ष आठ माताये
देवता है इसको धारण करने से आठों वसु और गंगा प्रसन्न रहती है इसको पहनने
वालो पर सत्यवादी सब देवता प्रसन्न रहते है. इसे धारण करने से अनेक प्रकार
के पाप नष्ट होते है.
नौ मुखी रुद्राक्ष :- नौ मुखी रुद्राक्ष के देवता भैरव और यमराज जी है.नौ मुखी रुद्राक्ष धारण करने वालो को कभी भी यमराज का भय नही रहता है.इसको बाँयी भुजा में धारण करने से शाक्ति प्राप्त होती है.भ्रूणहत्या हत्या के पाप से भी नौ मुखी रुद्राक्ष मुक्ति दिलाता है.
दस मुखी रुद्राक्ष :- दस मुखी रुद्राक्ष के स्वामी दशों दिशाए है.भगवान विष्णु भी इसके देवता है. दस मुखी रुद्राक्ष धारण करने से दशों दिशाओं में यक्ष रक्षा करता है. भूत-पिशाच, बेताल, ब्रह्मराक्षस आदि दस मुखी रुद्राक्ष से शांत हो जाते है.इसको धारण करने से सभी ग्रह भी शांत रहते है.
ग्यारह मुखी रुद्राक्ष :- ग्यारह मुखी रुद्राक्ष के देवता ग्यारह रूद्र है.इन्द्र भी इसके स्वामी है.जो कुछ भी दान करने की इच्छा रही हो और आपने दान नही किया हो तो ग्यारह मुखी रुद्राक्ष शिखा में धारण करने से दान की पूर्ति हो जाति है.क्योंकि हजारों गोदान का जो पुण्यफल है वह इसको धारण करने वाले को मिलता है.
बारह मुखी रुद्राक्ष :- बारह मुखी रुद्राक्ष के देवता श्री महाविष्णु जी है. बारहों आदित्य भी इसके देवता है.इसको धारण करने से किसी भी तरह का भय नही सताता है. व्यक्ति रोग-व्याधि से मुक्त हो कर राजा बनने के योग्य हो जाता है. शासन करने की इच्छा रखने वाले व्यक्ति को बारह मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करने चाहिए.इससे उसे सफलता मिलती है.
तेरह मुखी रुद्राक्ष :- तेरह मुखी रुद्राक्ष के देवता कामदेव है.इसको धारण करने से काम और रस रसायन में वृद्धि होती है.सब प्रकार के भोग प्राप्त होते है.जीव हत्या के पाप का भी शमन होता है
.
चौदह मुखी रुद्राक्ष :- चौदह मुखी रुद्राक्ष रूद्र के नेत्र से प्रकट हुआ है. चौदह मुखी रुद्राक्ष यदि प्राप्त हो जाए तो इसे सिर पर धारण करना चाहिए.इसके प्रभाव से बहुत मान सम्मान मिलता है.चौदह मुखी रुद्राक्ष के अनगिनत गुण है.इसको धारण करने वाला साक्षात् शिव स्वरुप होता है.
रुद्राक्ष धारण करने वाले को शराब, प्याज, सहिजना लहसोड़ा और मांस आदि नही खाना चाहिए....
नौ मुखी रुद्राक्ष :- नौ मुखी रुद्राक्ष के देवता भैरव और यमराज जी है.नौ मुखी रुद्राक्ष धारण करने वालो को कभी भी यमराज का भय नही रहता है.इसको बाँयी भुजा में धारण करने से शाक्ति प्राप्त होती है.भ्रूणहत्या हत्या के पाप से भी नौ मुखी रुद्राक्ष मुक्ति दिलाता है.
दस मुखी रुद्राक्ष :- दस मुखी रुद्राक्ष के स्वामी दशों दिशाए है.भगवान विष्णु भी इसके देवता है. दस मुखी रुद्राक्ष धारण करने से दशों दिशाओं में यक्ष रक्षा करता है. भूत-पिशाच, बेताल, ब्रह्मराक्षस आदि दस मुखी रुद्राक्ष से शांत हो जाते है.इसको धारण करने से सभी ग्रह भी शांत रहते है.
ग्यारह मुखी रुद्राक्ष :- ग्यारह मुखी रुद्राक्ष के देवता ग्यारह रूद्र है.इन्द्र भी इसके स्वामी है.जो कुछ भी दान करने की इच्छा रही हो और आपने दान नही किया हो तो ग्यारह मुखी रुद्राक्ष शिखा में धारण करने से दान की पूर्ति हो जाति है.क्योंकि हजारों गोदान का जो पुण्यफल है वह इसको धारण करने वाले को मिलता है.
बारह मुखी रुद्राक्ष :- बारह मुखी रुद्राक्ष के देवता श्री महाविष्णु जी है. बारहों आदित्य भी इसके देवता है.इसको धारण करने से किसी भी तरह का भय नही सताता है. व्यक्ति रोग-व्याधि से मुक्त हो कर राजा बनने के योग्य हो जाता है. शासन करने की इच्छा रखने वाले व्यक्ति को बारह मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करने चाहिए.इससे उसे सफलता मिलती है.
तेरह मुखी रुद्राक्ष :- तेरह मुखी रुद्राक्ष के देवता कामदेव है.इसको धारण करने से काम और रस रसायन में वृद्धि होती है.सब प्रकार के भोग प्राप्त होते है.जीव हत्या के पाप का भी शमन होता है
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चौदह मुखी रुद्राक्ष :- चौदह मुखी रुद्राक्ष रूद्र के नेत्र से प्रकट हुआ है. चौदह मुखी रुद्राक्ष यदि प्राप्त हो जाए तो इसे सिर पर धारण करना चाहिए.इसके प्रभाव से बहुत मान सम्मान मिलता है.चौदह मुखी रुद्राक्ष के अनगिनत गुण है.इसको धारण करने वाला साक्षात् शिव स्वरुप होता है.
रुद्राक्ष धारण करने वाले को शराब, प्याज, सहिजना लहसोड़ा और मांस आदि नही खाना चाहिए....
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