Wednesday, May 30, 2012

ऐसी महा हरामखोर मीडिया है हमारी



कांग्रेस और चर्च तथा अरब देशो के फेके हुए टुकड़े पर पलने वाली मीडिया के हेडलाइन का विरोधाभास आखिर नीचता और लालच की एक हद होती है.

जरा आपलोग हमारे देश की नीच और कुत्ती मीडिया की हेडलाइन का विरोधाभास सुनिए :

१- शिव सेना या बीजेपी अगर पुणे मे मारे गए किसानो के पक्ष मे कोंग्रेसी सरकार की बख़ियाँ उधेड़ते है तो मीडिया मे हेडलाइन होती है “अब इस मुद्दे पर राजनीति शुरू हो गई है“

वही रौल विंची भट्टा पारसौल मे नौटंकी करने जाता है तो उसे बार बार केन्द्रित किया जाता है और हेडलाइन होती है “आज राहुल गांधी ने पीड़ित किसानो का हाल चाल पूछा और मृतको के प्रति संवेदना व्यक्त की…और माया सरकार पर जमकर बरसे”

ऐसी महा हरामखोर मीडिया है हमारी .

सभी चर्च द्वारा पोषित और देश द्रोहीयों कश्मीरी अलगाववादियों के समर्थित इन चेनलों का यही हाल है भाई …. बीजेपी के नेताओ को राजनीति से प्रेरित करना, अपने डिबेट कार्यक्रमों मे बीजेपी का एक नेता और मुक़ाबले मे 2-3 कोंग्रेसी + उनके सहयोगी वामपंथि कुत्तो से लडवाकर मुद्दो को गुमराह करना, लक्ष्य होता है बीजेपी को अराष्ट्र पार्टी के रूप मे चित्रित करना, ताकि हर युवा के मुख से यही निकले बीजेपी एक नकारा पार्टी है सांप्रदायिक पार्टी है । इनके लिए कॉंग्रेस ने अगर 10 किलो का भ्रष्टाचार किया तो उसके सामने बीजेपी का 30 ग्राम का भ्रष्टाचार 20 किलो का हो जाएगा ….

२- अगर १० महीने से डियूटी से अनुपस्थित और हिरासत मे दो मौत के अभियुक्त तथा जबरन फर्जी एफिडेविट बनाने के आरोपी संजीव भट्ट को पुलिस गिरफ्तार करती है तो नीच मिडिया की हेडलाईन होती है " मोदी का बदला " या " यही है मोदी की असली सद्भावना " लेकिन अगर कांग्रेस शासित राज्यों मे किरण बेदी का प्रोमोशन सरकार रोक दे या बाबा रामदेव और आचार्य बल्क्रिशन के पीछे बदले के लिए पूरी सीबीआई लगा दे या महाराष्ट्र मे पांच पुलिस अधिकारियो को गिरफ्तार कार लिया जाये या केन्द्र सरकार "नोट फार वोट " मे उल्टे बीजेपी के सांसदों को गिरफ्तार कर ले तो फिर इस नीच मीडिया की सनसनी खेज हेडलाईन क्यों नहीं होती ?

३- आज बाबा रामदेव के सम्पति के पीछे पूरी मीडिया पड़ी है जो उन्होंने योग या दवाओ से अर्जित की है .. इसमें कोई अपराध नहीं है ..
लेकिन आज की नीच मीडिया राबर्ट वढेरा के साम्राज्य के पीछे क्यों नहीं पड़ती ? उसने सिर्फ १० साल मे खरबो की सम्पति कैसे बनाई ? उसने कौन सा जादू किया ? मीडिया सोनिया से क्यों डरती है ? क्या उसे अपनी बोटी और हड्डी खोने का डर है ?

४- यदुरप्पा के पीछे पूरी मीडिया कई महीनो तक जैसे एक सोचा समझा आन्दोलन चलाया .. वो धार और वो मीडिया का पैनापन शीला दिछित और अशोक गहलोत के भ्रष्टाचार पर खामोश क्यों हों जाता है ??

५- गुजरात दंगो के १० साल बीत जाने के बाद भी मीडिया जाकिया जाफरी , जाहिरा शेख , और दूसरे मुस्लिम पीडितो के लिए बहुत सद्भावना दिखाती है .. वो सद्भावना राजबाला के लिए क्यों नहीं ???

६- गुजरात दंगो के लिए आज मिडिया मोदी के लिए जिन शब्दों का उपयोग करती है वही शब्द और वही धार वो कांग्रेस के लिए सिख्ख विरोधी दंगे और भागलपुर दंगे और मुंबई दंगे के लिए क्यों नहीं इस्तेमाल करती ?

७- अभी भरतपुर दंगे के लिए गहलोत को मिडिया "मुसलमानों का कातिल " क्यों नहीं कहती ?

आज की इस मीडिया के प्रमुख कार्य है :
1. आरएसएस को सिम्मी के कतार मे खड़ा करना

2. भगवा मे आतंकवाद ढूँढना, डिग्गी के बयानो को जानबूझकर हवा देना ताकि हिंदुओं की वाणी उसी मे बहकर हिन हो जाये….

3. हिन्दू संस्कृति मे दोष ढूँढना, अमरनाथ यात्रा को ढोंघ करार देना – फर्जी विज्ञानी को बुलाकर के अमरनाथ यात्रा का वैज्ञानिक बिन्दु देखना ताकि हिन्दू यह समझे की यह एक ढोंग है.

4. लंदन मे 4 लोग मारे तो उसे रोज दवाई की तरह दर्शकों को पिलानाऔर ठीक उसी समय मे मुरादाबाद मे भगवान शिव की यात्रा मे शामिल 4-5 हिन्दू मरे दंगो मे तो उसे बिलकुल भी नहीं बताना

5. केरल मे सत्ताधारी पार्टी के जिहादी युवक पाकिस्तानी पर्चे बांटे तो बड़ी बात नहीं है, लेकिन सुब्रमण्यम स्वामी के बयान बड़ी बात है…..

6. मुहम्मद के डेन्मार्क मे बने कार्टून का गुस्सा यहाँ के मुस्लिम कोल्हापुर और हुबली मे सरकारी संपत्ति और मुर्दे हिंदुओं पर हाथ साफ करें तो इस मीडिया की हेडलाइन होती है“इनका गुस्सा जायज है किसी के धर्म की भावनाओ के साथ खिलवाड़ उचित नहीं है “वही एक सांस्कृतिक आतंकवादी एम एफ हुसेन बहुसंख्यक (?) हिंदुओं के देवी देवताओ के नग्न चित्र बनाए और उसके प्रतिकृया मे बहुसंख्यक हिंदुओं के देश मे मुट्ठी भर संगठन विरोध करें तोमीडिया उन पर तोगड़िया टेग लगाकर हुसेन के प्रति अपनी हमदर्दी बताती है….

7. गोवा मे मंदिर की मूर्तियों पर पैशाब करके “ईसा की ताकत बताना” और मूर्तियाँ ईसाई तोड़े तो कोई बात नहीं….

केरल के मुस्लिम बहुल इलाकों मे मिशनरी के गुजरने मात्र से मौत मिले तो मीडिया मे कोई हेडलाइन / बात नहीं …..क्योंकि दोनों “मित्र समुंह″ का टकराव है

8. लेकिन एक मर्द हिन्दू उड़ीसा मे ईसाई मिशनरियों को उनके कुकृत्य पर जिंदा जलाए …..तो इस मीडिया की हेडलाइन होती है”देश मे हिन्दू कट्टरपंथ बढ़ रहा है“

9. हमेशा इन्हे व्यवस्था परिवर्तन करने निकले स्वामी रामदेव मे एक चोर, पाखंडी नजर आता है

10. हर रोज कम से कम 4-5 खबरे ऐसी होती है जहां कोई पुजारी किसी मंदिर मे बलात्कार करता है, कोई हिन्दू संत ढोंगी निकलता है, आसाराम हत्यारा निकलता है आरएसएस के खिलाफ स्टिंग ऑपरेशन होता है, ऐसी मीडिया जिसे सिर्फ हिन्दू के अंदर ही बलात्कारी, पाखंडी, चोर नजर आता हो वो कैसे लोगो को जगाएगी ? जब कोई देश की मीडिया किसी निजी संस्थानो के हाथो मे हो तो उससे किसी भी तरह की आशा रखना व्यर्थ है ….. वह तो सिर्फ अपने आकाओ के कहने पर अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए बहुसंख्यकों को बरगलाएगी…. ताकि हिन्दू ये खबरे पढ़ पढ़ कर के अपने आप को हीन समझने लगे और मिशनरियों के लिए धर्म परिवर्तन के लिए पहली सीढी तैयार हो जाये ….

११- यदि कोई मुस्लिम या ईसाई कोई हिंदू विरोधी किताब लिखे तो वो "अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता" और यदि कोई हिंदू लिखे तो अपराध महानगरो मे “हिन्दू नास्तिको” (नपुंसको) की तादात बढ़ रही है गले मे क्रॉस शोभायमान है…. वाणी मे आधुनिक कंपनीतंत्र से प्रेरित सेकुलरवाद- -
अब तो यह कहने मे भी शर्म आती है की जागो हिंदुओं जागो । क्योंकि एक भाषण मात्र से ही यदा कडा सिर्फ एक हिन्दू की आँख खुलती है लेकिन बाकी जागते हुए भी अंदर सोये रहते है … जयचंदी का जिन कहीं न कहीं उनमे हिलोरे लेता है ….

इस बात का आप कभी घमंड न करें की आपकी संख्या 8० % हैं….. इसमे से आधे तो सेकुलर की औलादे हैबाकी वे जो मौन विरोध करतेहै लेकिन वोट नहीं देते है क्योंकि उन्हे अपना व्यापारिक समय प्यारा है ..
और जिस तरह से इस देश मे मुस्लिम जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है उस हिसाब से २०६० तक हिंदू इस देश मे अल्पसंख्यक हों जायेंगे ..जागो हिंदू जागो अपने वोट की कीमत समझो !! अपने जाति और छेत्र को भूल कर एक नई सुबह के लिए तैयार हों जाओ ..

मीडिया को समझो बंधु मीडिया को … हमारे देश की मीडिया दुनिया की की सबसे बड़ी नीच मिडिया है !!

2 comments:

  1. अगर हमारे देश की "मीडिया" की मक्कारी के विषय में जानना चाहते हो तो एक फिल्म जरूर देखना | उस फिल्म का नाम है---- "नायक" |

    सन 2001 में एक हिन्दी फिल्म बनकर प्रदर्शित हुई थी जिसका नाम था---- "नायक" | इस फ़िल्म में यह दिखाया गया है कि------- फिल्म के प्रारम्भ में पत्रकार अनिल कपूर एक दंगा होते हुये देखता है | फिर जब बाद में वह मुख्यमन्त्री अमरीश पुरी का इन्टरव्यू लेता है तो वह उस इन्टरव्यू में, उस दंगे के लिये मुख्यमन्त्री को दोषी ठहराने लगता है | लेकिन सच यह है कि------- वह दंगा मुख्यमन्त्री ने नहीं कराया था बल्कि--- वह दंगा तो एक छात्र और एक बस ड्राईवर के आपसी विवाद के कारण प्रारम्भ हुआ था | लेकिन अनिल कपूर ने पूरी फिल्म में----- उस छात्र और उस ड्राईवर से कोई भी सवाल नहीं पूछा कि तुमने दंगा क्यों किया ? फिर बाद में जब अनिल कपूर को मुख्यमन्त्री बनने का अवसर प्राप्त हुआ तब भी उस अनिल कपूर ने----------- उस छात्र और उस ड्राईवर को जेल नहीं भेजा | क्यों ?????? आखिर क्यों ????????????

    इस प्रकार से स्पष्ट है कि-------- हमारे देश "भारत" के पत्रकार (अख़बारों और टेलीविजन चैनलों के सम्वाददाता)---- बहुत ही कमीन और हरामी होते हैं | यह पत्रकार लोग------ देश की जनता को गुमराह करते हैं |

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